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कोई भी कार्य असंभव नहीं बस जरूरत है शुरुआत करने की सफलता जरूर मिलेगी – श्रीमती दास
कोई भी कार्य असंभव नहीं बस जरूरत है शुरुआत करने की सफलता जरूर मिलेगी – श्रीमती दास
दुर्ग । अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को देश-विदेश में मनाया जाता है इस दिन विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर कार्य करने वाली महिलाओं का सम्मान सामाजिक संगठन एनजीओस जैसी संस्थाओं द्वारा किया जाता है इस वर्ष भी आगामी 8 मार्च को महिला दिवस महिलाओं के सम्मान में मनाया जाएगा। वही बेहतर संवाद की टीम ने भी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर दुर्ग जिले के विभिन्न विभागों में पदस्थ बेहतर कार्य करने वाली महिलाओं का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू लेकर उनका सम्मान करेगा। इसी कड़ी में आज हम दुर्ग के मत्स्य विभाग में पदस्थ डिप्टी डायरेक्टर श्रीमती सुधा दास जिसे बात करेंगे और जानेंगे उनके जीवन में किस प्रकार से उतार-चढ़ाव आए और इस मुकाम तक पहुंचने में क्या-क्या कठिनाइयां आई।
वही श्रीमती सुधा दास बताती हैं उनका जन्म छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के पास पेंड्रा रोड स्थित नगर में हुआ बेसिक शिक्षा बिलासपुर से पूरी हुई कॉलेज बीएससी बायो की पढ़ाई भी बिलासपुर से पूर्ण किया। उसके बाद बिलासपुर के ही कॉलेज से एमएससी जूलॉजी कर लास्ट ईयर में मत्स्य सब्जेक्ट चुनाव सब्जेक्ट चुनने के बाद कभी श्रीमती दास को लगा नहीं कि वह मत्स्य विभाग में अपनी सेवाएं देंगी। पर 2 साल पढ़ाई करने के बाद रोजगार कार्यालय के माध्यम से उनका सिलेक्शन मत्स्य विभाग में हो गया जहां उन्होंने विभाग को ज्वाइन करने के बाद छतरपुर में 1 साल की ट्रेनिंग लेकर अपने करियर की शुरुआत की।
बहुत ही सामान्य परिवार से तालुकात रखने वाली श्रीमती दास का स्कूल घर से 3 से 4 किलोमीटर दूर था पर वह पैदल जाकर अपनी पढ़ाई पूरी करती वही कॉलेज के दिनों में भी बस स्टैंड से करीब 1:30 से 2 किलोमीटर पैदल जाकर कॉलेज पहुंचती, मन में जुनून था जीवन में कुछ कर दिखाना है व जो सपने उसको साकार करना है बस कदम चलते गए चलते गए और चलते गए….
मत्स्य विभाग में नौकरी लगने के बाद पहली पोस्टिंग बतौर फ्रिसरी ऑफिसर के रूप में हुई अंबिकापुर में पहली पोस्टिंग जहाँ 7 सालों तक रहकर कार्य किया उसके बाद सन 2000 में शादी हुई श्रीमती सुधा दास अपने हस्बैंड के बारे में बताती है वर्तमान में पीडब्ल्यूडी रायपुर में पदस्थ हैं।
अंबिकापुर के बाद रायपुर में 5 वर्षों तक इस विभाग में कार्य कर बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला डिपार्टमेंट में रहते रहते पीएससी के रूप में प्रमोशन फिर असिस्टेंट डायरेक्टर मछली पालन विभाग के रूप में रहकर अपनी सेवाएं विभिन्न स्थानों पर दी।
श्रीमती दास ने आगे बताया कि रायपुर के बाद कवर्धा में 5 वर्षों तक अपनी सेवाएं दी, उसके बाद दुर्ग जिले में सन 2012 में कवर्धा से ट्रांसफर होकर आई अब तक यहां पर असिस्टेंट डायरेक्टर के पद पर पदस्थ हूं।
श्रीमती दास अपने परिवार के बारे में बताती है कि घर में पापा लैब टेक्नीशियन मम्मी स्टाफ नर्स के रूप में अपनी सेवाएं दी परिवार में भाई , आगे अपने परिवार के बारे में श्रीमती दास बताते हैं कि एक बेटा है जो अभी फ्रिसरी कॉलेज में पढ़ाई कर रहा है।
कहती है शुरू से ही घर के बड़े बुजुर्ग वह आसपास के बुजुर्ग कहते थे साइंस लेना साइंस लेना तब जाकर साइंस लेकर बायो पड़ी कोई दूसरा कोई सब्जेक्ट दिमाग में था ही नहीं क्योंकि परिवार में सभी इसी बैकग्राउंड से बिलॉन्ग करते ।
बहुत ही दिलचस्प बात श्रीमती दास बताती अपने नौकरी के इंटरव्यू के दौरान विभाग में जब चुना गया तब इंटरव्यू में भोपाल में हुआ तत्कालीन डायरेक्टर ने इंटरव्यू में सबसे पहले पूछा आप पहली लड़की हो जो मछली विभाग में शायद हुआ बड़े-बड़े डैम कैसे देखभाल करोगी उसी समय बड़ी ही संयम से श्रीमती दास ने कहा कि सर मैं जाऊंगी जहां जाना होगा कार्य करूंगी बस करना है कार्य उसी शब्दों को सुनकर शायद मेरा चयन हुआ आज 30 वर्ष अपने करियर का विभाग को दिया मैंने।
वही अपने 30 वर्षों के अनुभवों को हमसे साझा करते हुए श्रीमती दास ने बताया कि कार्य के दौरान उतार-चढ़ाव आना स्वाभाविक है पर कठिनाइयों व चुनौतियों के सामने हिम्मत ना हारना डटे रहना निश्चित ही आपकी जीत होगी और कठिन से कठिन कार्य भी आसान लगने लगेगा। इस दौरान तत्कालीन डायरेक्टर कहां मिलता सहयोग रहा जिस वजह से आगे बढ़ती गई।
छत्तीसगढ़ में पहली महिला सहायक मत्स्य अधिकारी बनी हमेशा माता-पिता से प्रेरणा मिलता रहा वह आगे बढ़ती चली गई।
वहीं महिलाओं के लिए अपने संदेश में श्रीमती सुधा दास ने कहा कि कोई भी कार्य आप को दिया जाता है तो आप करें कोई भी कार्य संभव नहीं है कार्य करने का जुनून होना चाहिए जो भी टास्क आपको आपके सीनियर ने दिया हो उसे निश्चित ही पूरा करने का पूरा प्रयास करना चाहिए पूरी लगन से कार्य करो जिससे आप को प्रोत्साहित जरूर मिलेगा। कोई भी कार्य असंभव नहीं है बस उसकी शुरुआत करने की आवश्यकता है।