• social news
  • पहली बार जब विश्वामित्र के साथ निकलते हैं तो उनका प्रयोजन परित्राणाय साधूनाम यानी यज्ञ की रक्षा व संतों का संरक्षण था…संत चिन्मयानंद बापू

पहली बार जब विश्वामित्र के साथ निकलते हैं तो उनका प्रयोजन परित्राणाय साधूनाम यानी यज्ञ की रक्षा व संतों का संरक्षण था…संत चिन्मयानंद बापू

भिलाई नगर। भगवान श्रीराम जगत कल्याण के लिए दो बार घर छोड़कर निकले। पहली बार जब विश्वामित्र के साथ निकलते हैं तो उनका प्रयोजन परित्राणाय साधूनाम यानी यज्ञ की रक्षा व संतों का संरक्षण था। जबकि दूसरी बार विनाशाय च दुष्कृताम यानी रावण, कुंभकर्ण जैसे दुष्टों के संहार का लक्ष्य था। भगवान राम चाहते तो वन जाने से इनकार कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और पिता के वचन का पालन करते हुए एक पुत्र का कर्तव्य पूर्ण किया। यह बातें आज संत चिन्मयानंद बापू ने श्रीराम जन्मोत्सव समिति एवं जीवन आनंद फाउण्डेशन द्वारा आयोजित श्रीराम ज्ञानयज्ञ एवं श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के आठवें दिन कहीं।

खुर्सीपार श्रीराम चौक में आयोजित श्रीराम कथा में आज वन गमन एवं केंवट संवाद की कथा सुनाई गई। कथावाचक ने बताया कि केंवट को जब भगवान से मिलने का अवसर मिला। उनकी शरण में जाने का अवसर मिला। उसने खुद की नैय्या तो पार लगाई ही साथ ही साथ अपने साथ पूरे गांव व अपने पितरों को भी तर्पण कर मोक्ष दिया। भगवान राम की शरण में आकर अहंकारी का अहंकार भी खत्म हो जाता है और उसका जीवन धन्य हो जाता है।

चिन्मयानंद बापू ने कहा कि प्रभु राम भाई लक्ष्मण व पत्नी सीता के संग गंगा के किनारे पहुंचते है प्रभु ने केंवट से तीनों को नदी पार कराने को कहा। केंवट समझ गया कि प्रभु कि कृपा प्राप्त करने का ऐसा अवसर फिर नहीं मिलेगा। फिर उन्होंने हठ करके प्रभु को पैर धुलाने को राजी किया। कठौती में पानी लाकर खुद ही पांव धोया। अपने व परिवार के साथ ही गांव वालों को भी चरणामृत दिया। प्रभु के चरणामृत लेने के लिए देवी-देवता भी भेष बदलकर आ गए। केंवट ने कहा कि प्रभु आप वेदमंत्रों के ज्ञाता हैं। वेद मंत्रों से हमारे पितरों का तर्पण करा दें। इस पर प्रभु ने मंत्र पढ़कर तर्पण कराया। इसके बाद वह नदी पार कराने ले गया। जब सीता माता अपनी सगाई की अंगूठी निकालकर प्रभु राम को दे देती हैं, प्रभु राम मल्लाही के रूप में स्वर्ण मुद्रिका देना चाहते हैं, लेकिन केंवट ने ये कहते हुए लेने से मना कर दिया कि यदि आपको नदी पार कराने के लिए कुछ देना ही है तो मरने के बाद मुझे भवसागर पार करा देना।

कथा श्रवण करने आज आयोजन स्थल में भिलाई भाजपा जिला अध्यक्ष बृजेश बिजपुरिया, रविंदर सिंह, प्रभुनाथ मिश्रा, रमेश माने, तेजबहादुर सिंह, अजय पाठक, बसंत प्रधान, योगेंद्र पाण्डेय, सुधांशु द्विवेदी, नागेंद्र सिंह, आरपी शर्मा, शशि शर्मा, कैलाश शर्मा, दिनेश त्रिपाठी, बृजकिशोर सिंह, प्रहलाद सिंह, रामानुज यादव, ख़ुशी सिंह, सुशील सिंह, राहुल भोसले सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित थे।

श्रीराम एक आदर्श पुरुष उनके जैसा कोई नहीं
संत चिन्मयानंद बापू ने भगवान राम के वन गमन की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान राम ने जगत कल्याण के भाव से दो बार घर छोड़ा। भगवान राम ने पिता दशरथ के वचन को पूर्ण करने के लिए वन जाने का निश्यच कर लिया। भगवान राम एक आदर्श बेटे, आदर्श पति व आदर्श भाई के तौर पर माने जाते हैं। इनके जैसा भाई, पति व बेटा दुनिया में दूसरा कोई नहीं हुआ।

जनकल्याण की प्रार्थना के साथ यज्ञ में दी आहूतियां
श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के तहत आज जोड़ों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आहुति डाली। सभी ने प्रभु से जन कल्याण के लिए प्रार्थना की। सैकड़ों की संख्या में पुरुष एवं महिलाओं ने यज्ञ स्थल पर पहुंचकर यज्ञशाला की परिक्रमा की। यज्ञशाला के दर्शन एवं परिक्रमा कर प्रभु के दर्शन का लाभ लिया।

ADVERTISEMENT