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किसान आंदोलन के बीच राष्ट्रपति ने तीन कृषि विधेयकों को मंजूरी दी

नई दिल्ली । देशव्यापी किसान आंदोलन के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद द्वारा पारित तीन कृषि विधेयकों को स्वीकृति दे दी है. इसके साथ ही कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020, कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक क़ानून बन गए हैं. राज्यसभा और लोकसभा इन विधेयकों को पहले ही पारित चुकी है.
इन तीन विधेयकों को लेकर देश भर के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं विपक्ष ने भी इन विधेयकों को पास न करने के संबंध में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात भी की थी. किसान संगठनों और विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि ये विधेयक बड़े कारोबारियों के लिए लाए गए हैं जो भारतीय खाद्य एवं कृषि व्यवसाय पर प्रभुत्व जमाना चाहते हैं और इनसे किसानों की मोलभाव करने की शक्ति कमजोर होगी. किसानों ने शंका व्यक्त कि है कि केंद्र सरकार के कृषि सुधार न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे और किसानों को बड़े उद्योगपतियों के “रहम” पर छोड़ देंगे.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन विधेयकों के पारित होने को भारतीय कृषि के इतिहास में ‘‘ऐतिहासिक दिन’’ करार दिया था. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये विधेयक कृषि क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव लाएंगे और इससे किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयासों को मजबूती मिलेगी. उधर, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने विधेयकों को पूरी तरह खारिज करते हुए इन्हें किसानों के लिए ‘‘मौत का वारंट’’ करार दिया और इसे ‘‘लोकतंत्र में काला दिन’’ बताया था.
इन कृषि विधेयकों के चलते केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके साथ ही शिअद ने शनिवार रात को कृषि विधेयकों के मुद्दे पर राजग छोड़ने का ऐलान किया था. विपक्षी दलों के विरोध के बीच संसद में पारित किए गए तीन कृषि विधेयकों के खिलाफ पंजाब में किसानों के बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बीच शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने यह घोषणा की.

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