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लॉकडाउन ने बदली लोगों की जिंदगी व जीवनशैली, हुए कई परिवर्तन

नई दिल्ली । महामारी कोरोना वायरस के प्रकोप ने दुनिया की जिंदगी और जीवनशैली ही बदलकर रख दी है। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लॉकडाउन लागू किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का आह्वान किया। इसके बाद 25 मार्च से देशव्यापी पूर्ण लॉकडाउन लागू हो गया। लॉकडाउन 96 दिन चला और एक जून से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई। कोरोना संक्रमण व लॉकडाउन लागू किए जाने के बाद की दुनिया काफी बदल गई है। इन करीब छह महीनों में लोगों की जिंदगी व जीवनशैली में अहम बदलाव आए हैं।
फेस मास्क हो गया अनिवार्य: देश की राजधानी दिल्ली में ठंड के दिनों में जब प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता था, तब कुछ लोग फेस मास्क में नजर आते थे। मार्च में कोरोना संक्रमण की आहट के बाद से ही मास्क ज़िन्दगी का अहम हिस्सा बन गया। सरकार ने भी सभी के लिए मास्क अनिवार्य कर दिया है। अब ज्यादातर लोग मास्क लगाए नजर आते हैं, चाहे वह सर्जिकल ही क्यों न हो। अलाइड मार्केट रिसर्च के अनुसार, देश में वर्ष 2019 में सर्जिकल मास्क का बाजार 5.27 अरब का था जो वर्ष 2027 तक 11.55 अरब रुपये का हो जाएगा।
कार्यस्थलों में भी बदले तौर-तरीके : लॉकडाउन के बाद दफ्तरों में कामकाज के तौर-तरीके भी काफी बदल गए हैं। कुछ मल्टीनेशनल कंपनियां तो वर्क फ्रॉम होम की सुविधा पहले से देती थीं, लेकिन कोरोना संक्रमण की शुरुआत और लॉकडाउन लागू होने के बाद देश की ज्यादातर घरेलू कंपनियों ने भी घर से कामकाज की सुविधा दे दी। अनलॉक के बाद ज्यादातर दफ्तर व संस्थान खुल चुके हैं, लेकिन वहां शारीरिक दूरी और हैंड सैनिटाइजेशन जैसे मानकों का अनुपालन किया जा रहा है।
बदल गई यात्रा की प्रवृत्ति : कोरोना संकट ने पर्यटन व परिवहन व्यवस्था को भी काफी प्रभावित किया है। किसी ने सोचा भी नहीं था कि ट्रेनों व मेट्रो के पहिए थम जाएंगे। विमानों का परिचालन बंद हो जाएगा। पर्यटन स्थल बंद हो जाएंगे। अनलॉक के साथ अब जबकि पर्यटन स्थल खुल रहे हैं तो पर्यटकों की संख्या बेहद कम है। लोग यात्राओं से परहेज करने लगे हैं। बहुत जरूरी होने पर ज्यादार लोग निजी वाहनों का प्रयोग कर रहे हैं। प्रदूषण से मिली राहत : प्रदूषण के कारण देश के महानगरों में रहने वाले लोग हमेशा परेशान रहते थे। दिल्ली जैसे महानगरों में वाहनों के थमने से हवा साफ हो गई। लॉकडाउन के पहले ही दिन दिल्ली में पीएम 2.5 में 40-50 फीसद गिरावट दर्ज की गई थी। 10 दिनों में ही गंगा के पानी की गुणवत्ता बेहतर होने लगी थी। अब जबकि अनलॉक की प्रक्रिया जारी है हमें अपनी अच्छी आदतों को बरकरार रखने की जरूरत है। मिलकर प्रयास करने की जरूरत है कि वायु व नदियों के जल को फिर न प्रदूषित होने दें।

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