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होम आइसोलेशन में रखा जा रहा पूरा ध्यान, दवाइयों की व्यवस्था के साथ ही चिकित्सकों द्वारा ली जा रही जानकारी….
8000 से अधिक मरीज होम आइसोलेशन में
रखा जा रहा पूरा ध्यान, दवाइयों की व्यवस्था के साथ ही चिकित्सकों द्वारा ली जा रही जानकारी….
दुर्ग – जिले के होम आइसोलेशन कंट्रोल सेंटर के माध्यम से लगातार कोरोना आइसोलेशन में रह रहे कोरोना मरीजों की सेहत की देखभाल की जा रही है। डॉक्टरों की टीम 24 घंटे इन मरीजों की सेहत पर नजर रखी हुई है। मरीजों से प्राप्त जानकारी के बाद उनके स्वास्थ्य के संबंध में गहन विमर्श होता है। इसके पश्चात आवश्यक पड़ने पर रिफरल संबंधी निर्णय लिया जाता है। उल्लेखनीय है कि दुर्ग जिले के होम आइसोलेशन कंट्रोल सिस्टम को फीडबैक में पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। अभी तक यहां से 17000 से अधिक मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। सेंटर की मेडिकल प्रभारी डॉ. रश्मि भुरे द्वारा लगातार मरीजों की स्वास्थ्य स्थिति की मॉनिटरिंग की जाती है। चिकित्सकीय स्टाफ द्वारा प्राप्त इनपुट के माध्यम से मरीज के आगे के इलाज के संबंध में निर्णय होता है। मरीजों के ऑक्सीजन लेवल की स्थिति की नियमित मॉनिटरिंग की जाती है ऑक्सीजन लेवल की मॉनिटरिंग के मुताबिक मरीज को चंदूलाल कोविड केयर हॉस्पिटल अथवा शंकराचार्य हॉस्पिटल में रेफर किया जाता है। होम आइसोलेशन कंट्रोल रूम के माध्यम से घर तक दवाइयां भेजी जाती है इसके साथ ही आपात स्थिति होने पर मरीज को अस्पताल तक भेजे जाने की व्यवस्था की जाती है। होम आइसोलेशन कंट्रोल सेंटर की पूरी नजर मरीज की ऑक्सीजन की स्थिति पर होती है मरीजों को स्पष्ट निर्देश होते हैं की पल्स ऑक्सीमीटर में पंचानवे से नीचे आने पर तुरंत इसकी सूचना दें अथवा किसी अन्य प्रकार के कॉम्प्लिकेशन होने की स्थिति में सूचना दें। इसके अलावा कंट्रोल रूम के चिकित्सक लगातार मरीजों की स्थिति पर नजर रखे रहते हैं। इसके साथ ही मरीजों को मेडिकल किट के अलावा कोरोना में किस तरह का खानपान करना और आइसोलेशन के नियमों का किस प्रकार पालन कराना यह सारी जानकारी दी जाती है। इसके साथ ही मरीजों को यह भी कहा जाता है कि आइसोलेशन के नियमों का पालन करें क्योंकि कोरोना संक्रामक बीमारी है। अभी तक यह प्रवृत्ति देखी गई है कि एक व्यक्ति के प्रभाव में पूरा परिवार संक्रमित हो जाता है।
फिलहाल सेंटर में 100 लोगों का स्टाफ है जो रात दिन लोगों की सेहत की मॉनिटरिंग कर रहा है।