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महिला रोल मॉडल बने अपने परिवार व दूसरों के लिए…. सीसीएफ दुर्ग शालिनी रैना से बेहतर संवाद की बातचीत…

भिलाई – अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस जैसा कि हम जानते हैं हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है. इस दिन विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए इस दिन महिलाओं के सामाजिक, राजनैतिक, या अन्य क्षेत्रों में कार्य करते हुए विशेष उपलब्धि के उपलक्ष में एक उत्सव के तौर पर यह अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस बनाया जाता है… “बेहतर संवाद” भी महिलाओं के सम्मान में दुर्ग जिले के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत उन महिलाओं को इस दिवस की शुभकामनाएं बधाई देते हुए विशेष बातचीत प्रस्तुत कर रहा है… आज हम बात कर रहे हैं. श्रीमती शालिनी रैना मुख्य वन संरक्षक दुर्ग संभाग के रूप में. वर्तमान में अपने कार्यों का निर्वहन बखूबी व बेहतर तरीके से कर रही है. “बेहतर संवाद” से बात करते हुए अपने व्यक्तिगत एवं कार्य क्षेत्रों के बारे में कुछ अनुभव हमसे साझा किया. मूलत: कश्मीर की रहने वाली श्रीमती शालिनी रैना का बचपन दिल्ली में बीता दिल्ली से उन्होंने अपनी स्कूलिंग उसके बाद ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली से की पोस्ट ग्रेजुएट एवं एमफिल बॉटनी ऑनर्स की पढ़ाई भी दिल्ली से ही की. श्रीमती शालिनी रैना आगे बताती हैं परिवार में पापा सरकारी विभाग में पदस्थ रहे. मम्मी हाउसवाइफ रहकर हम सब का ख्याल रखती मैं और मेरी छोटी बहन जो वर्तमान में कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दे रही है. पापा हमेशा ही दोनों बहनों को आगे बढ़ने की प्रेरणा व हमेशा मोटिवेट करते रहे. साथ ही साथ मम्मी ने भी हमेशा आगे बढ़ने में हमारे साथ हर कदम से कदम मिलाकर खड़ी रही. माता पिता के आशीर्वाद व उनके मार्गदर्शन से ही आज इस मुकाम पर पहुंच सकी. अपनी सफलता का सारा श्रय अपने माता पिता को देती हूं उन्हीं की बदौलत इस मुकाम तक पहुंच पाई. वही श्रीमती शालिनी रैना ने बताया कि वर्ष 2001 में UPSC की परीक्षा पास करने के बाद आईएफएस में सिलेक्शन हुआ. आईएफएस कैडर के रूप में (AGMUT) अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम, यूनियन टेरिटरी के लिए अपनी सेवाएं 2005 तक दी. श्रीमती शालिनी रैना ने बताया शादी 2002 में डॉ आनंद छाबड़ा से हुई. डॉ आनंद छाबड़ा वर्तमान में रायपुर रेंज आईजी के रूप में सेवाएं दे रहे हैं. क्योंकि डॉक्टर छाबड़ा छत्तीसगढ़ कैडर में पदस्थ है. सो शादी के बाद कैडर 2005 में चेंज हुआ. कैडर चेंज होने के बाद मुख्यालय पहुंची फिर कवर्धा सीईओ जिला पंचायत साथ ही साथ ज्वाइंट डायरेक्टर मनरेगा के पदों पर पदस्थ रही. फिर डीएफओ दुर्ग, डीएफओ जांजगीर तत्पश्चात पंचायत ग्रामीण विभाग फिर डायरेक्टर ऑफ एसआईआरडी, स्टेट इंस्टीट्यूट आफ रूरल डेवलपमेंट ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट फिर नई पदोन्नति चीफ कंजरवेटर फॉरेस्ट ( सीसीएफ )दुर्ग के रूप में वर्तमान में कार्यरत. श्रीमती शालिनी रैना बताती हैं कार्यों के दौरान बहुत कुछ सीखने को मिला इस दौरान वन विभाग में.वनो की सुरक्षा, ज्यादा से ज्यादा प्लांटेशन, वनवासियों की आय के लिए लगातार प्रायसरत…. जहां तक चुनौतियों की बात है अब जहां अब तक ऐसा महसूस नहीं हुआ क्योंकि   जहा भी पोस्टिंग रही सभी स्टाफ का सदैव अच्छा सहयोग मिला सभी का सपोर्ट रहा इस दौरान. कुछ पारिवारिक बातों को भी सीसीएफ दुर्ग ने बेहतर संवाद से साझा करते हुए कहा शादी 2002 में हुई और दो बिटिया है जो अभी स्कूलिंग कर रही है… महिला दिवस 8 मार्च पर महिलाओं को संदेश देकर यह कहा की रोल मॉडल बने अपने परिवार अपने आसपास सोसाइटी के लिए जिससे आसपास के लोग आपको देखकर प्रेरित हो. सभी फील्ड में आप एक रोल मॉडल बने जिससे अन्य महिलाएं भी आपको देखकर प्रेरित हो सके व आप जैसा बनने की चाह रखे……

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