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  • छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला पुलिस अधिकारी के रूप में बीजापुर जिले में कार्य करने का अवसर मिला, जहा बहुत कुछ सिखने को मिला – एएसपी प्रज्ञा

छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला पुलिस अधिकारी के रूप में बीजापुर जिले में कार्य करने का अवसर मिला, जहा बहुत कुछ सिखने को मिला – एएसपी प्रज्ञा

छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला पुलिस अधिकारी के रूप में बीजापुर जिले में कार्य करने का अवसर मिला, जहा बहुत कुछ सिखने को मिला – एएसपी प्रज्ञा

 

भिलाई – कहते हैं जब बच्चे माता पिता के सपनों को साकार करने जी जान से जुट जाते व सफलता के उच्च शिखर पर पहुंच जाते जहां पर माता-पिता अपने बच्चों को हमेशा जहा देखना चाहते हैं… तब माता पिता के चेहरे पर वो खुशी, वो भाव, वो शांति का अनुभव दिखाई पड़ता जिसे हम अपने शब्दों में भी बया नहीं कर सकते….! ऐसे ही एक व्यक्तित्व के बारे में आज हम बात कर रहे हैं जो शुरू से ही कुछ कर गुजरने का ख्वाब अपने मन में कॉलेज के दिनों में संजोए रखा एवं साकार भी किया. हम बात कर रहे हैं दुर्ग जिले में पदस्थ पहली एडिशनल एसपी ग्रामीण प्रज्ञा मेश्राम की जिन्होंने “बेहतर संवाद” से बातचीत में अपने जीवन के बारे में व्यक्तिगत व कार्य क्षेत्र के अनुभवों को हमसे साझा किया. 4 नवंबर 1981 में जन्म छत्तीसगढ़ के बालोद अर्जुंदा में हुआ. प्रज्ञा मेश्राम की प्राइमरी स्कूलिंग बीजापुर के बासागुड़ा धुर नक्सल क्षेत्र में हुआ. पांचवी के बाद छठवीं से दसवीं तक बालोद के पिनकापार गांव के मिडिल स्कूल शिक्षा ली उसके बाद 11वीं से 12वीं तक की पढ़ाई राजनांदगांव जिले मैं संपन्न हुई.. प्राइमरी लेकर 12वीं तक अलग-अलग जगह से पढ़ाई की. पापा डॉ पीएल वासनिक जिला आयुर्वेद अधिकारी राजनांदगांव व माता श्रीमती पूर्णिमा वासनिक एक ग्रहणी के रूप में घर का ख्याल रखती… पापा के ट्रांसफर की वजह से अलग-अलग स्कूलों में अध्ययन करना पड़ा. वही 12वीं के बाद कॉलेज में एडमिशन लेकर बीएससी की डिग्री प्राप्त की उसके बाद एमएससी बायो फिर क्या था पहले ही अटेंप्ट में छत्तीसगढ़ राज्य की कठिन परीक्षा पास कर डीएसपी के पदों पर चयनित हुई.. प्रज्ञा मेश्राम ने बताया जब कॉलेज में एडमिशन लिया तो तभी से सिविल सर्विसेज की तैयारी भी साथ ही साथ शुरू कर दी थी. डीएसपी चयनित होने के बाद घर में खुशी का माहौल निर्मित हो उठा माता पिता बहुत खुश हुए जब चयन राज्य पुलिस सेवा में हुआ. साथ ही साथ रिश्तेदारों का भी बधाई संदेश प्राप्त होने लगा.. वही इस कामयाबी को प्रज्ञा मेश्राम ने अपने माता-पिता की कामयाबी बताई. पिता के बारे में कहते कहते प्रज्ञा की आंखें भर आई व कहां की पापा हमेशा से हमारे भाई व मुझमे में कोई फर्क महसूस नहीं किया करते थे.कोई भी कार्य सबसे पहले बेटी को प्राथिमिकता देते. गाड़ी सीखने की बात हो या फिर कुछ और कार्य करने की. लड़का, वही माता का भी उतना ही योगदान रहा हर जगह एक परछाई के रूप में साथ खड़ी रही. दो भाइयों में एक कौशल किशोर वासनिक जो वर्तमान में कवर्धा जिले में थानेदार के रूप में पदस्थ है. वही दूसरा भाई दिनकर वासनिक जिला आबकारी अधिकारी महासमुंद में पदस्थ है. प्रज्ञा मेश्राम का विवाह गोपी मेश्राम से संपन्न हुआ गोपी मेश्राम वर्तमान में एडिशनल कमिश्नर ट्रांसपोर्ट विभाग रायपुर में पदस्थ हैं. एक बेटा एक बेटी हैं जो अभी स्कूलिंग कर रहे हैं . वही अपने कार्यक्षेत्र के अनुभवों को साझा करते हुए प्रज्ञा मेश्राम ने बताया की 2005 में छत्तीसगढ़ पुलिस सेवा में सिलेक्शन व ट्रेनिंग बाद छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में कार्य करने का मौका मिला सर्वप्रथम सरगुजा में ढाई वर्ष की सेवाएं दी उसके बाद ट्रांसफर के रूप में बीजापुर जिले में पोस्टिंग हुई प्रज्ञा मेश्राम बताती हैं छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला पुलिस अधिकारी के रूप में बीजापुर जिले में कार्य करने का अवसर मिला जहां वह अपनी छोटी बच्ची को लेकर 2 साल बीजापुर में बिताया. बीजापुर के बाद राजनांदगांव डीएसपी के रूप में ढाई वर्ष फिर प्रमोट होकर एएसपी आईयूसीडब्ल्यूए मैं रह कर अपनी सेवाएं दी उसके बाद ट्रांसफर होकर दुर्ग जिले में कार्य करने का अवसर मिला शुरू में एएसपी आईयूसीडब्ल्यूए फिर ग्रामीण एडिशनल एसपी की जिम्मेदारी मिली जिसका निर्वहन वर्तमान में किया जा रहा है एएसपी की जिम्मेदारी मिलने के बाद सभी थानों में विजिट कर थाना प्रभारियों को मोटिवेट कर लगातार कार्य कर रही हैं. पॉजिटिव माइंड सेट से कार्य करने प्रोत्साहित कर लगातार साइबर जागरूकता अभियान भी समय-समय पर किया जा रहा है. घर व ऑफिस के कार्यों में संतुलन बनाकर कार्य करना. पुलिस विभाग में कार्य करने के दौरान सबसे ज्यादा खुशी है मन में तब होती है जब एक परिवार आपस में मिल जाए सारे टकराव खत्म हो जाए खोए हुए बच्चों की सकुशल वापसी देख मन प्रसन्न हो उठता हैं. पहली महिला एडिशनल एसपी ग्रामीण प्रज्ञा मेश्राम ने तमाम महिलाओं को संदेश के माध्यम से कहा महिलाओ को सभी क्षेत्र में आगे आकर देश के समग्र विकास में भागीदार बने महिलाओ को आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना महिलाओं को सबसे ज्यादा आत्मनिर्भर बनाएगा महिला पुरुष के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सके. सभी महिलाओ को 8 मार्च महिला दिवस की बधाई. जय ( छत्तीसगढ़, जय भारत )

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