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स्टाॅल के माध्यम से जन-जन तक पहुंच रहा है गोमय निर्मित दीया

अब तक दो लाख दीया कर चुके है तैयार, दीया विक्रय के लिए मैदानी स्तर पर उतरी महिलाएं, संदेश देते हुए कह रही है गोबर वाले दीये जलाना अबकी बार दीवाली में
भिलाईनगर. नगर पालिक निगम भिलाई के गोबर खरीदी केन्द्रों में 2 लाख दीया का निर्माण किया जा चुका है। इसे आसानी से लोगों को उपलब्ध कराने के लिये निगम भिलाई द्वारा महापौर एवं भिलाई नगर विधायक श्री देवेंद्र यादव एवं आयुक्त श्री ऋतुराज रघुवंशी के निर्देश पर स्व सहायता समूह को प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जा रहा है। महिलाएं स्थानीय बाजारों में भी दीये का विक्रय कर रही है। स्थायी रूप से पाॅवर हाउस बस स्टैण्ड के समीप, भेलवा तालाब (श्री गुरूनानक सरोवर) नेहरू नगर, सूर्या माॅल, गोबर खरीदी केन्द्र खुर्सीपार आईटीआई के पास एवं भिलाई नगर रेलवे स्टेशन के समीप, कोसानाला में दीये एवं पूजा थाल का विक्रय कर रही है। मांग इतनी है कि एडवांस बुकिंग की जा रही है जिसकी पूर्ति भी हो रही है। दीये खरीदने लोगों के कदम सीधे गोधन न्याय योजना के केन्द्रों में पड़ने लगे है। कुछ दिन पूर्व ही महापौर देवेंद्र यादव, धर्मेन्द्र यादव एवं महापौर परिषद के सदस्य लक्ष्मीपति राजू ने भी दीये की खरीददारी की है। महापौर ने  लोगों से भी अपील की है कि इस बार के दीपावली में गोबर से बने दीयो से घर रोशन करें और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने प्रोत्साहित करें! दीया पूर्ण रूप से ईको फ्रेंडली है एक बार इसका उपयोग करने के पश्चात खाद के रूप में भी प्रयुक्त किया जा सकता है। दिखने में चटक रंग का आकर्षक दीये और पूजा थाल की डिमांड में बढ़ोत्तरी हो रही है। साथ ही दीपावली पूजा के लिये विशेष तौर पर तैयार लक्ष्मी जी, गणेश जी की प्रतिमा भी लोग ले जा रहे हैं। भिलाई शहर ही नहीं बल्कि स्टाॅल रायपुर तक लग चुके है। कुछ दिन पूर्व ही ग्लोबल अवार्ड कार्यक्रम में भी भिलाई शहर की महिलाओं ने गोधन से बने उत्पादों का स्टाॅल लगाया था जिसकी तारिफ हासिल कर चुके है। अन्य प्रदेशों से आये हुये लोगों ने इस कार्य को काफी सराहा है। महिलाओं में गोमय दीये को लेकर इतना उत्साह है कि उन्होंने एक वीडियो भी तैयार किया है जिसमें वह कह रही है गोबर वाले दीये जलाना अबकी बार दीवाली में! भिलाई शहर में पहली बार महिलाओं ने बड़े आत्मविश्वास के साथ दीया तैयार करने का कार्य किया है! छत्तीसगढ़ राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी घर के आंगन को गोबर से विशेष त्योहारों में लिपाई की जाती है, गोबर अब महिलाओं के लिए जीविकोपार्जन का जरिया बन चुकी है, जिसे पहले लोग नाली में बहा देते थे, अब वही आय का स्रोत बन रही है! स्व सहायता समूह की महिलाओं ने अथक प्रयास और मेहनत के बाद दीया तैयार किया है, इनके विक्रय की चुनौती भी महिलाओं के पास है, पूरा दीया बिकने पर ही महिलाओं की मेहनत रंग लाएगी, अब इन दीयो के विक्रय के लिए महिला बहने मैदानी स्तर पर है!

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