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ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन और शमन क्रियाओं के मापन

रायपुर :  रिपोर्टिंग और सत्यापन प्रणाली पर राष्ट्रीय वर्चुअल आयोजित
ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन और शमन क्रियाओं के मापन, रिपोर्टिंग और सत्यापन प्रणाली पर प्रथम बहु-स्तरीय शासन-विधि राष्ट्रीय वर्चुअल वार्ता का आयोजन आज अक्टूबर 2020 को किया गया। यह आयोजन आई.सी.एल.ई.आई. (लोकल गवर्नमेंट फॉरसस्टेनेबल डेवलपमेंट) एवं क्लाइमेट ग्रुप, इंग्लैंड के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। क्लाइमेट फुटप्रिंट प्रोजेक्ट अंतर्गत आई.सी.एल.ई.आई (लोकल गवर्नमेंट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट) एवं क्लाइमेट ग्रुप, राज्य और क्षेत्रीय सरकारों को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर नजर रखने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों के लिए टेक्निकल सहायता करता है। जिसके लिए क्षेत्रीय ग्रीनहाउस गैस इनवेंटरी जिसमें क्षेत्रीय स्तर पर ग्रीन हाउसगैस की मॉनीटरिंग, रिपोर्टिंग तथा वेरीफिकेशन का कार्य किया जाना है।
क्षेत्रीय ग्रीन हाउसगैस इनवेंटरी से स्थानीय नीति निर्माताओं को उत्सर्जन के स्रोत तथा उत्सर्जन कम करने की रणनीतियों को समझने तथा निर्धारण के लिए आवश्यक होगा तथा आई.सी.एल.ई.आई (लोकल गवर्नमेंट फॉर सस्टैनबल डेवलपमेंट) एवं क्लाइमेट ग्रुप इस में तकनीकी परामर्श प्रदान कर रहा है। क्लाइमेट फुट प्रिंट परियोजना पर्नामबुको (ब्राजील), छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल (भारत), बाजा कैलिफोर्निया, जलिस्को और युकाटन (मेक्सिको) और क्वाजुलु-नटाल (दक्षिण अफ्रीका) को प्रत्यक्ष सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करती है।
यह पहला बहु स्तरीय संवाद दो सत्रों में आयोजित किया गया। प्रथम सत्र एकीकृत मॉनीटरिंग, रिपोर्टिंग तथा वेरीफिकेशन पर परिचर्चा के लिए था। इसमें डॉ.जे.आर. भट, वैज्ञानिक ‘जी‘ एवं नेटकॉम, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राष्ट्रीय परियोजना निदेशक, भारत सरकार ; मुदितकुमार सिंह, आई.एफ.एस (पी.सी.सी.एफ एवं हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स) तथा महानिदेशक, छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी परिषद एवं रीजनल साइंस सेंटर सुश्री लौरा गामरा, अधिकारी जलवायु डेटा, बॉन सेंटर, जर्मनी अभिषेक कौशिक, क्षेत्र संयोजक, वैश्विक पर्यावरण अनुसंधान केंद्र, टेरी  सेसर कोर्रेनो, जलवायु डेटा के प्रमुख, आईसीएलईआई विश्व सचिवालय एमनी कुमार, उप महासचिव, आईसीएलईआई (दक्षिण एशिया) एवं श्रीनिवास कृष्ण स्वामी, संस्थापक ट्रस्टी और सीईओ, वसुधा फाउंडेशन ने भाग लिया।
मुदित कुमार सिंह ने अपने उद्बोधन में छत्तीसगढ़ राज्य की स्थिति तथा राज्य के परिप्रेक्ष्य में पर्यावरण संरक्षण और समग्र विकास के लिए राज्य शासन की नीतियों एवं योजनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने राज्य की नरवा-घुरवा-गुरवा-बाड़ी कार्यक्रम के बारे में विस्तृत चर्चा की तथा राज्य में सौर ऊर्जा गठबंधन की भी व्याख्या की, जिसे विश्व स्तर पर भी मान्यता प्राप्त है। उन्होंने अपने उद्बोधन में वर्तमान कोविड-19 के परिदृश्य में तथा राज्य सरकार के नवीन कार्यक्रमों के परिदृश्य में, राज्य में ग्रीन हाउस गैसों के लिए एकीकृत निगरानी, रिपोर्टिंग और सत्यापन प्रणाली के लिए कार्य योजना की पुनः समीक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि गणना और रिपोर्टिंग हेतु राज्य की कई नीतियां एवं कार्यक्रम शामिल होने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में ग्रीन हाउस गैसों के लिए निगरानी, रिपोर्टिंग और सत्यापन के लिए स्थानीय निकायों में जागरूकता, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की आवश्यकता है। उन्होंने एम.आर.वी सिस्टम के लिए नीति और कानूनी फ्रेम के अलावा उत्पन्न डाटा के सत्यापन के लिए आधारभूत डाटा मानकों की आवश्यकता पर जोर दिया।

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