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आक्सीजन लेवल 85 में आए थे शंकराचार्य कोविड हास्पिटल, एक दिन वेंटिलेटर में भी गुजारा, आज पूरी तरह स्वस्थ होकर डिस्चार्ज

शंकराचार्य कोविड हास्पिटल में गंभीर रूप से सांस की दिक्कत महसूस कर रहे कोविड पाजिटिव ठीक होकर जा रहे घर, जिला प्रशासन की लोगों से अपील जल्द कराएं टेस्ट, जल्द हो जाएगी रिकवरी
दुर्ग. कोविड आपदा के इस दौर में जब कोविड पाजिटिव मरीज का सैचुरेशन तेजी से गिरता है और तुरंत आक्सीजन सपोर्ट तथा दवाओं का डोज शुरू कर देना ही मरीज के लिए संजीवनी साबित होता है। ऐसे उदाहरण मिल रहे हैं जहां समय पर टेस्ट कराने और अस्पताल आ जाने से मरीजों की जान बच गई और आज वे जिंदगी की जंग जीतकर पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौट रहे हैं। आज ढाल सिंह कोसरे शंकराचार्य कोविड हास्पिटल से कोविड की जंग जीतकर घर लौटे आए। इनका इलाज कर रहे डाॅक्टर बसंत चैरसिया ने बताया कि वे 7 सितंबर को हास्पिटल में भर्ती हुए थे। एंटीजन टेस्ट हुआ और पाजिटिव आए, सांस लेने में तकलीफ थी। जब चेक किया तो आक्सीजन लेवल 85 आ गया था। टेस्ट कराया गया और पता चला कि कोविड के साथ ही निमोनिया के पैच भी हैं। आईवी इंजेक्टिबल ड्रग दिये गए। एक दिन वेंटिलेटर में भी रखा गया। मरीज ने बहुत अच्छा रिस्पांस किया। 23 तारीख को वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। आज ढाल सिंह आनंद नगर, दुर्ग स्थित अपने घर पूरी तरह स्वस्थ होकर लौट आए। ऐसी ही कहानी विनोद केसरी की भी है। वे 51 साल के हैं। 16 तारीख को उन्हें शंकराचार्य हास्पिटल में एडमिट किया गया। उन्हें सांस लेने में परेशानी थी, बुखार था। इसके साथ ही हायपरटेंशन और डायबिटीज था। इनका आक्सीजन लेवल 90 से नीचे आ गया था। को-मार्बिड होने की वजह से इसी तरह से सावधानीपूर्वक उनका इलाज किया गया। शंकराचार्य हास्पिटल में इलाज की व्यवस्था देख रही नोडल अधिकारी डाॅ. सुगम सावंत ने बताया कि आक्सीजन लेवल की मानिटरिंग के साथ ही ऐसी दवा देना जिससे वायरल लोड घटे, कोविड प्रोटोकाल के मुताबिक इलाज किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे लगातार व्यवस्था की मानिटरिंग कर रहे हैं। गंभीर मरीजों के स्वास्थ्य की हर दिन जानकारी ले रहे हैं तथा सबसे अच्छा उपचार एवं सुविधाएं देने का प्रयास किया जा रहा है।
बेहतर इलाज डाॅ. लाल का शुक्रिया- अस्पताल से रिकवर होकर लौटे श्री नरेंद्र सोनी ने बताया कि अस्पताल में डाॅ. लाल ने पूरा ध्यान रखा। थोड़ी वीकनेस जरूर है लेकिन इस आपदा से बाहर आ गया। इस दौरान डाॅ. लाल ने बहुत ध्यान दिया। उल्लेखनीय है कि नरेंद्र 20 अगस्त को डिस्चार्ज हुए थे। यह पहले पेशेंट थे जिन्हें आक्सीजन सपोर्ट दिया गया। इसके साथ ही ओरल स्टेरायड भी दिया गया। वे 10 अगस्त को एडमिट हुए थे।
स्टाफ की ड्यूटी जो परिजनों से कराते हैं बात- मरीजों को अस्पताल में अकेलापन नहीं महसूस हो, इसलिए सुबह से दोपहर के वक्त स्टाफ की ड्यूटी लगाई जाती है। ये मोबाइल के माध्यम से परिजनों से बात कराती हैं। इसके अलावा टेली कालिंग सेंटर से भी मरीजों के इलाज के संबंध में एवं अन्य जरूरी सुविधाओं के बारे में लगातार जानकारी ली जाती है।

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