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कोरोनावीरों का राष्ट्र के प्रति अमूल्य योगदान, वे पूरे समाज के लिए प्रेरणादायी: सुश्री उइके
राज्यपाल ने प्राणों की आहूति देने वाले कोरोनावीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की
राज्यपाल रोट्रेक्ट क्लब छिंदवाड़ा द्वारा आयोजित वेबिनार में हुई शामिल
रायपुर. आज पूरा विश्व, देश और प्रदेश कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहा है। इस संक्रमण से बचाव के लिए चिकित्सकगण, पुलिसकर्मी, शासकीय कर्मचारी, मीडिया कर्मी तथा कई सामाजिक संगठन कार्यरत हैं। ये सभी कोरोना वीर हैं। ऐसे लोग पूरे समाज के लिए प्रेरणादायी होते हैं। जो न सिर्फ लोगों की प्राणों की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि राष्ट्र के प्रति अपना अमूल्य योगदान भी दे रहे हैं। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज रोट्रेक्ट क्लब छिंदवाड़ा द्वारा कोरोना काल में विशिष्ट सेवाकार्यों के लिए कोरोनावीरों के सम्मान के लिए आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए कही। राज्यपाल ने अपने प्राणों की आहूति देने वाले कोरोनावीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर कोरोना काल में विशिष्ट सेवा कार्य करने वाले कोरोनावीरों का वर्चुअल सम्मान किया गया।
राज्यपाल ने कहा कि रोटियन के रूप में काम करते हुए मेरी समाज सेवा के कार्यों में सहभागिता रही और समाज के कल्याण के कई कार्य किए गए। ऐसे मानवीय कार्य जो भी करता है उनमें आत्मविश्वास आता है और नेतृत्व की भावना विकसित होती है। मुझमें पूर्व के विभिन्न दायित्वों के अलावा छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के पद संभालने का जो सामर्थ्य वह ऐसे कार्यों के कारण ही आ पाया है। राज्यपाल ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि राज्यसभा सदस्य के रूप में राज्यसभा में मेरा पहला उदबोधन कन्या भ्रूण हत्या के विषय पर देना था। उस समय मेरे वरिष्ठ सदस्यों ने हिम्मत बढ़ाया और कहा कि तुम बहुत अच्छा कह सकती हो और मैने विषय पर कहना शुरू किया और सारे पक्षों को रखा। उद्बोधन के पश्चात राज्यसभा के अन्य सदस्य तथा तत्कालीन सभापति स्वर्गीय श्री भैरवसिंह शेखावत ने मेरे उद्बोधन की सराहना की। राज्यसभा जिसे विद्वानों का सदन कहा जाता है वहां पर अपने बात रखने का आत्मविश्वास मुझे रोटरी क्लब जैसे संस्थाओं में मानव सेवा के कार्य करने के कारण ही आ पाया।
राज्यपाल ने कहा कि वास्तव में मानव सेवा हमारे देश की आत्मा में रची बसी है। प्राचीन काल से भगवान राम-कृष्ण ने प्राणी मात्र की सेवा करने का संदेश दिया है, वहीं स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी जैसे समस्त महापुरूषों ने मानव सेवा को ही हमारा धर्म बताया है। मेरा आग्रह है कि हम सबको जिस समय भी मौका मिले अपने सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों की मदद करना चाहिए। यही असली सुख है। इन कार्यों से हमें आत्मिक शांति मिलती है।
उन्होंने कहा कि मैं स्वयं रोटरियन रही हूं। मुझमें भी इनके साथ कार्य करने से नेतृत्व और संगठन क्षमता के गुण का विकास हुआ। मैंने उन दिनों इस क्लब की टीम के साथ स्वास्थ्य, समाज सेवा जैसे विभिन्न कार्यों में सहयोग दिया। रोटरी क्लब जैसे संगठन में ही वो क्षमता है, जिसने पूरे विश्व को पोलियो मुक्त करने का बीड़ा उठाया। इनके निरंतर समर्पण भाव का ही परिणाम है कि आज पूरा विश्व पोलियो मुक्त होने की दिशा में तेजी से अग्रसर है।