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रिसाली निगम तैयार करेगा जैविक खाद – महिलाओं को स्वालंबी बनाने आयुक्त की पहल…

रिसाली निगम क्षेत्र की महिला स्व सहायता समूह की सदस्य जल्द ही जैविक खाद बनाएगी। कुमकुम स्व सहायता समूह की सदस्य को  स्वालंबी बनाने अपर कलेक्टर व निगम आयुक्त प्रकाश कुमार सर्वे ने पहल की है। नोडल अधिकारी रमाकांत साहू के मार्गदर्शन में शुक्रवार को कृषि विज्ञान केन्द्र अंजोरा की टीम ने रूआबांधा स्थित एस. एल. आर. एम. सेंटर के निकट स्थित गोडवाना भवन में प्रशिक्षण दिया गया।
वरिष्ठ कृषि अधिकारी एल. बी. जैन ने महिला सदस्यों को बताया कि वर्तमान कृषि बाजार में जैविक खाद की मांग अधिक है। प्रदेश में नई कृषि नीति बनने के बाद कृषि आधारित योजनाएं बनाई गई है। प्रदेश सरकार की गोधन न्याय योजना भी इसी का हिस्सा है। इसके तहत ही गौ सेवकों से रिसाली निगम गोबर खरीद रहा है। इस गोबर का उपयोग जैविक खाद बनाने के लिए किया जाएगा। कृषि विज्ञान केन्द्र से आए सहायक संचालक डाॅ. थापक ने महिलाओं को आश्वस्त कराया कि उनके द्वारा तैयार जैविक खाद कों बाजार तक पहुंचने के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जाएगा। प्रशिक्षण शिविर में अधिकारियों ने जैविक खाद बनाने के लिए विधि और स्थल चयन और सामग्री के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही इस बात पर विशेष ध्यान रखने कहा कि खाद निर्माण स्थल पर पाॅलीथिन, कांच व प्लास्टिक के टुकड़े न पहंुचे। प्रशिक्षण कार्यक्रम में पूर्व पार्षद राजेन्द्र रजक समेत निगम के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।
प्रति किलो 5 से 10 रूपए का फायदा
कृषि विज्ञान केन्द्र अंजोरा के अधिकारियों ने बताया कि जैविक खाद बनाने में 20-25 दिन का समय लगेगा। एक बार खाद बनाने का क्रम शुरू होने के बाद फायदा भी नजर आने लगेगा। जैविक खाद का बाजार मूल्य 20-25 प्रतिकिलो है। खाद से सदस्यों को प्रतिकिलों 5-10 रूपए का मुनाफा होगा।
आयुक्त पहुंचे गोबर खरीदी केन्द्र
प्रशिक्षण के पहले निगम आयुक्त रूआबांधा स्थित गोबर खरीदी केन्द्र पहंुचे। जहां जैविक खाद बनाने निगम प्रशासन द्वारा 12 फीट लंबाई, 5 फीट चैड़ा व ढाई फीट गइराई वाले कुल 15 टैंक का निर्माण कराया जा रहा है। निगम आयुक्त व नोडल अधिकारी ने विशेषज्ञों के साथ टैंक का निरीक्षण किया। साथ ही निर्माण एजेंसी को दिशा निर्देश दिए।
स्टाक में 10 हजार किलो गोबर
राज्य शासन की योजना के तहत रिसाली निगम कुमकुम स्व सहायता समूह के माध्यम से गौ सेवकों व गौ मालिकों से गोबर खरीद कर रही है। शुक्रवार की स्थिति में 21 हजार 5 सौ 96 रूपए का कुल 10 हजार 7 सौ 98 किलो गोबर खरीदा जा चुका है।
खाद के लिए डेयरी का गोबर उपयुक्त
प्रशिक्षण देने पहुंचे अधिकारियों ने बताया कि गांव के बजाय शहर में संचालित डेयरी व्यवसाय के लिए पाले गए मवेशियों के गोबर ज्यादा उपयुक्त है। डेयरी संचालक दूध उत्पादन बढ़ाने मवेशी को दाना खिलाते है इस वजह से डेयरी से आया गोबर जैविक खाद के लिए ज्यादा उपयुक्त है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में पालेजाने मवेशी केवल प्राकृतिक चारा व पैरा पर निर्भर रहती है इसलिए जैविक खाद बनाने के लिए डेयरी में रखे गए मवेशियों के गोबर को उपयुक्त माना गया है।

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