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उम्मीद की रेशमी किरण : अर्जुन के 65 हजार पेड़ कोसा उत्पादन के लिए तैयार, मनरेगा से लगाए गए हैं 40 एकड़ में

रायपुर –  अर्जुन के 65 हजार पेड़ वनांचल में उम्मीद की रेशमी किरण बिखेर रहे हैं। मनरेगा के तहत 40 एकड़ रकबे में लगाए गए इन पेड़ों पर रेशम विभाग अब कृमिपालन कर कोसा सिल्क उत्पादन की तैयारी में है। इसके लिए समूह बनाकर स्थानीय ग्रामीणों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यहां कोसा उत्पादन से 23 परिवारों को स्थाई रोजगार मिलेगा। नक्सल प्रभावित नारायणपुर के बोरण्ड ग्राम पंचायत के गोटाजम्हरी गांव में मनरेगा, रेशम विभाग और जिला खनिज न्यास निधि के अभिसरण से करीब चार साल पहले लगाए गए अर्जुन के पेड़ अब पांच से सात फीट के हो गए हैं। रेशम विभाग गांव के ही 23 मनरेगा श्रमिकों का समूह बनाकर इन पेड़ों पर टसर कोसा कृमिपालन का काम शुरु कर रहा है।

रेशम विभाग समूह के सदस्यों को 35-40 दिनों का प्रशिक्षण देकर कृमिपालन से लेकर कोसा फल संग्रहण तक का काम सीखा रहा है। कृमिपालन के लिए पूरे 40 एकड़ के वृक्षारोपण को अलग-अलग भागों में बांटा गया है। समूह द्वारा उत्पादित कोसाफल को शासन द्वारा स्थापित ककून बैंक के माध्यम से क्रय किया जावेगा। कोसा फल के विक्रय से प्राप्त राशि समूह के खाते में हस्तांतरित होगी। इस तरह कोसा सिल्क के उत्पादन से एक साथ 23 परिवारों को नियमित रोजगार मिलेगा। वे रेशम उत्पादन में दक्ष होकर अच्छी कमाई कर बेहतर जीवन जी सकेंगे

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