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दुर्ग, सुकमा और कोण्डागांव में कुटीर उद्योगों की स्थापना के लिए बनेंगे लघु उद्योग प्रक्षेत्र
रायपुर – राज्य शासन की मंशा के अनुरूप ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रूद्रकुमार की पहल पर लघु प्रक्षेत्र निर्माण होने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। मंत्री गुरु रुद्रकुमार ने कहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में आर्थिक ग्रामीण व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण करने की दिशा में ग्रामोद्योग रोजगार का एक सशक्त माध्यम बना है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के युवक-युवतियों को स्व-रोजगार उपलब्ध कराने में लघु उद्योग प्रक्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। इसी कड़ी में लघु उद्योग प्रक्षेत्र का निर्माण किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के प्रबंध संचालक राजेश सिंह राणा ने बताया कि ग्रामोद्योग नीति के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के बेरोजगार युवक-युवतियों को मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के माध्यम से स्वावलंबी बनाने के लिए विभिन्न माध्यमों से 35 प्रतिशत अनुदान दिलाने की व्यवस्था है। अनुदान दिलाकर ऋण उपलब्ध कराने से स्व-रोजगार देने की कार्रवाई जिला स्तर पर की जा रही है। श्री राणा ने बताया कि वर्तमान परिस्थितियों में कोरोना संक्रमण के कारण अन्य राज्य से आए प्रवासी श्रमिक और मजदूरों को रोजगार दिलाने भरपूर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रायः ग्रामीण क्षेत्रों के उद्यमी के पास पर्याप्त भूमि ना होने के कारण स्वयं का व्यवसाय लगाने में वे असफल हो जाते हैं। ग्रामोद्योग द्वारा प्रक्षेत्र निर्माण किए जाने से भूमि संबंधी समस्याओं का निराकरण हो जाएगा। ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा दुर्ग जिले के पाटन, सुकमा जिले और कोंडागांव जिले में कुटीर उद्योग स्थापित करने के लिए 30 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी जहां लघु उद्योग प्रक्षेत्र बनाया जाना है। छत्तीसगढ़ खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा लघु उद्योग प्रक्षेत्र के लिए भूमि उपलब्ध कराने दुर्ग, सुकमा और कोंडागांव जिले के कलेक्टर को इस आशय का पत्र जारी कर किया गया है।
ग्रामोद्योग नीति के तहत ग्रामोद्योग इकाईयों की स्थापना, विस्तार और उपलब्ध सेवाओं में सुधार किया जाता है। राज्य में कार्यरत हितग्राहियों का सर्वें, चिन्हांकन और डाटा बेस तैयार कर कार्ययोजना बनाई जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामोद्योग के माध्यम से बड़े पैमाने पर स्व-रोजगार उपलब्ध कराए जाते हैं। इकाईयां स्थापित करने के लिए वित्तीय, तकनीकी, विपणन और सूचना प्रौद्योगिकी की सहायता भी उपलब्ध करायी जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक प्रोत्साहन देने के लिए ऋण स्वीकृति और प्रक्रियाओं का सरलीकरण किया गया है। ग्रामोद्योग का विकास सहकारी संस्थाओं, स्व-सहायता समूहों, अशासकीय संस्थाओं व निजी क्षेत्र की भागीदारी से किया जा रहा है। ग्रामोद्योग नीति के अंतर्गत निर्यात किए जाने वाले उत्पादों पर कर छूट की व्यवस्था लागू है। साथ ही गामोद्योग में ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी को प्राथमिकता दी जानी सुनिश्चित की गई है।