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एक दिवसीय र्राष्ट्रीय वेबिनार “माइक्रोबायोम्स और मानव स्वास्थ्य” पर…
एक दिवसीय र्राष्ट्रीय वेबिनार “माइक्रोबायोम्स और मानव स्वास्थ्य” पर
भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको, भिलाई, छत्तीसगढ़ के सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग के छात्र परिषद तथा माइक्रोबायोलॉजिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में “माइक्रोबायोम्स और मानव स्वास्थ्य” विषय पर एक दिवसीय र्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. ए.एम. देशमुख अध्यक्ष, एमबीएसआई ने सभा को संबोधित करते हुए माइक्रोबायोम्स और मानव स्वास्थ्य, उनके उभरते रुझान और प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी साझा की।
इस वेबिनार में विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ. गौरव शाह, स.प्रा और बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रमुख वीएनएसजीयू कैम्पस, सूरत और प्रोफेसर डॉ. जी. आर. पाटिल डीन कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ एलाइड साइंसेस, कृष्णा विश्व विद्यापीठ, कराड उपस्थित रहे।
डॉ. शमा ए. बेग सूक्ष्मजीवविज्ञान की विभागाध्यक्ष ने वेबिनार के विभिन्न उद्देश्यों और “माइक्रोबायोम्स और मानव स्वास्थ्य” पर अपने विचार साझा करते हुए कहा, आज हम एक अत्यंत रोचक और महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करने जा रहे हैं—माइक्रोबायोम और मानव स्वास्थ्य। हमारे शरीर में अरबों-खरबों सूक्ष्म जीव रहते हैं, जिन्हें हम माइक्रोबायोम कहते हैं। ये केवल हमारी आंतों में ही नहीं, बल्कि हमारी त्वचा, मुंह, और अन्य अंगों में भी निवास करते हैं। ये सूक्ष्म जीव न केवल पाचन में मदद करते हैं, बल्कि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं, मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, और बीमारियों से लड़ने में हमारी सहायता करते हैं। इस वेबिनार में हम जानेंगे कि माइक्रोबायोम कैसे हमारे जीवन के विभिन्न चरणों में विकसित होता है। इसका स्वास्थ्य और बीमारियों में क्या योगदान है। व्यक्तिगत चिकित्सा में इसका भविष्य क्या हो सकता है। मुझे विश्वास है कि इस चर्चा से आपको नई जानकारी और एक नई दृष्टि मिलेगी कि कैसे ये सूक्ष्म जीव हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।
डॉ. गौरव शाह ने आंत के माइक्रोबायोटा की कार्यप्रणाली पर प्रकाश डाला और कुछ केस स्टडीज के माध्यम से आंत माइक्रोबायम की संरचना और ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) एवं मानसिक स्वास्थ्य के बीच के संबंध को स्पष्ट किया। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि माइक्रोबायम आधारित चिकित्सा के उभरते क्षेत्रों में भविष्य के स्वास्थ्य देखभाल नवाचारों के लिए महान संभावनाएं हैं।
प्रोफेसर डॉ. जी. आर. पाटिल ने माइक्रोबायोम और मानव स्वास्थ्य के प्रभावित करने वाले कारकों, प्राकृतिक उपचारों की चुनौतियों और सीमाओं के बारे में बताया।
इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न भागों से 65 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। कुछ प्रतिभागियों ने महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे, जैसे कि “आंतों के माइक्रोबायोटा मानवों में एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध जीन के विकास और प्रसार में कौन से प्रमुख तंत्र योगदान करते हैं?” और “हमारी आंत और हमारे मस्तिष्क के बीच क्या संबंध है? कैसे रसायन आंत और मस्तिष्क तक पहुंचते हैं?”
महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा और डॉ. मोनिशा शर्मा ने वेबिनार के आयोजकों को बधाई दी और छात्रों तथा समाज के लाभ के लिए ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन की अपेक्षा की। प्राचार्या डॉ. हंसा शुक्ला ने इस विषय को चुनने पर विभाग को बधाई दी।
वेबिनार का संचालन मिस शैरी झाम्भुलकर और मिस खुशि चौधरी, एमएससी तृतीय सेमेस्टर सूक्ष्मजीवविज्ञान द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के आयोजन में सहयोग करने वाले छात्र परिषद के सदस्य: मिस शैरी झाम्भुलकर, मिस खुशि चौधरी, मिस श्रुति वैष्णव, मिस शुभांजलि सोनी, और मिस रेखा चतुर्वेदी, एमएससी तृतीय सेमेस्टर सूक्ष्मजीव विज्ञान तथा शिक्षक समन्वयक मिस योगिता लोखंडे और मिस सामिक्षा मिश्रा, स.प्रा. सूक्ष्मजीव विज्ञान ने वेबिनार की सफलतापूर्वक कार्यवाही सुनिश्चित की।
इस र्राष्ट्रीय वेबिनार में टीसाइड विश्वविद्यालय, मिडल्सबरो, यूके की आयुषी ने भी भाग लिया । इस वेबिनार ने वैश्विक स्वास्थ्य में माइक्रोबायोम के महत्व को उजागर किया और इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने का कार्य किया।