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स्वरूपानंद महाविद्यालय में 15 दिवसीय मशरूम प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन समारोह संपन्न…
स्वरूपानंद महाविद्यालय में 15 दिवसीय मशरूम प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन समारोह संपन्न…
भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय हुडको भिलाई में बॉयोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा 15 दिवसीय मशरूम उत्पादन कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें प्रशिक्षक सेंटथॉमस महाविद्यालय की स.प्रा. डॉ. उज्जवला सूपे तथा सहायक प्रशिक्षक श्रीमती डॉली बी. जॉन उपस्थित हुई।
कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. शिवानी शर्मा, विभागाध्यक्ष बॉयोटेक्नोलॉजी ने बताया विद्यार्थियों तथा महाविद्यालय में कार्यरत चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों, व महिलाओं को मशरूम उत्पादन की विधि तथा उससे जुडे़ रोजगार के अवसरों, बिक्री के तरीको, उत्पादन में होने वाले लाभों से परिचित कराना है। मशरूम प्रोटिनयुक्त स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ है, जिसकी बाजार में बहुत मांग है।
डॉ. उज्जवला सूपे ने बताया यह कम लागत, कम जगह व कम समय में अधिक लाभ देने वाला उत्पादन है उन्होने बताया बीज को गेहूँ का भूसा अथवा धान के कुवाल को बारह से पंद्रह घंटे तक भिगाना है, अनावश्यक पानी को निकाल देना है, उसमे बीज डालकर अंधेरे कमरे में बीस से पच्चीस दिन रखना है, हवा के लिये पोली बैग में थोड़ा-थोड़ा छेद कर देते है। तापमान बीस से तीस डिग्री सेल्सियस व नमी बीस से अस्सी प्रतिशत रहना चाहिये व हवा आने जाने का साधन हो। यह पैतालीस से साठ दिन में तैयार हो जाता है इसे बाजार में ताजा या सूखा कर भी बेच सकते है। छत्तीसगढ़ में इसका सबसे अधिक आचार का उत्पादन होता है व इसके पापड़ भी बनाये जाते है। यह उच्च गुणवत्तापूर्ण औषधीय तत्वों से भरपूर होता है। ठंड का समय मशरूम उत्पादन के लिये सबसे अच्छा होता है।
प्रशिक्षण कार्यशाला की सराहना करते हुये महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा ने कहा यह कम लागत व कम जगह में प्रारंभ होने वाला रोजगार है पंद्रह दिन के प्रशिक्षण पश्चात् छात्र इसे रोजगार के रूप में अपना सकते है।
प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने बॉयोटेक विभाग की सराहना करते हुये कहा मशरूम पोशक तत्वों व औषधीय गुणों से भरपूर भोज्य पदार्थ है। विद्यार्थी व चतुर्थ वर्ग कर्मचारी इस प्रशिक्षण का लाभ उठाकर आत्मनिर्भर हो सकेंगें।
मशरूम में पोशक तत्वों से पूर्ण होता है इसलिए बाजार में इसकी बहुत मांग है व इसे उच्च मूल्य पर बेचा जाता है। यह प्रोटिन व विटामिन डी से भरपूर होता है। महाविद्यालय का उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के साथ-साथ विद्यार्थियों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना भी है। इस प्रशिक्षण कार्यशाला द्वारा महाविद्यालय ने अपने सामाजिक दायित्वों का भी निर्वहन किया जिसके अन्तर्गत महिलाओं, महाविद्यालय में कार्य करने वाले ड्राईवर, कंडक्टर, स्वीपर को भी मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जिससे वे इसे स्वरोजगार के रूप में अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ा सके व सम्मानपूर्वक जीवन जी सके इसके लिये उन्हें बाजार में अपने द्वारा उत्पादित मशरूम को कैसे बेचा जा सकता है इसकी भी जानकारी प्रदान की जायेगी।
कार्यक्रम को सफल बनाने में स.प्रा. संजना सोलोमन व स.प्रा. अपूर्वा शर्मा बॉयोटेक्नालॉजी विभाग ने विशेष योगदान दिया।