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महाविद्यालय में शिक्षा विभाग द्वारा वेबीनार का आयोजन….

स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय में शिक्षा विभाग द्वारा वेबीनार का आयोजन’

 

 

भिलाई –  स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको, भिलाई में शिक्षा विभाग एवं आई.क्यू.ए.सी. सेल द्वारा ”वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कोविड-19 का वैष्विक वातावरण में प्रभाव“ विशय पर एक दिवसीय राश्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की संयोजिका डाॅ. पूनम शुक्ला   स.प्रा. षिक्षा विभाग ने कार्यक्रम का संचालन किया व रुपरेखा पर प्रकाष डाला व कहा शोध संगोश्ठी का आयोजन कोविड-19 के वजह से संभव नहीं है इसके विकल्प रुप में वेबिनार जागरुकता फैलाने का मुख्य साधन है।

हेमचंद यादव विष्वविद्यालय, दुर्ग के कुलपति डाॅ. अरुणा पल्टा ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज लोगों के दृश्टिकोंण में बदलाव आया है। लोग भौतिकवादी दृश्टिकोण को आज पीछे छोड़ सामाजिक गतिविधि में भी परिवर्तित किये है जैसे आज हम सामाजिक कार्यों में इकट्टठे न होकर, कम लोगों में ही कार्य को संपन्न कर रहे हैं। विद्यार्थी परेषान है उसको अपना कैरियर खत्म हुआ सा लग रहा है। हमें ईष्वर ने दूसरों से बहुत अच्छी स्थिति में रखा है। अब हमें कोरोना के साथ जीना सीखना होगा। अंतर्राश्ट्रीय स्तर पर हम कैसे इस चुनौती से निपट सकते है यह हमें बताना होगा।

डाॅ. वी.जी. सिंग कुलपति पं. सुंदरलाल षर्मा मुक्त विष्वविद्यालय, बिलासपुर ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारतीय संस्कृति के अनुसार नमस्कार करना या प्रणाम करना हाथ पैर धोकर गृह प्रवेष करना आदि व्यवहार को हम अपना रहे हैं। विदेषों में भी इस प्रकार के व्यवहार को अपना लिया गया है। योग एवं आयुर्वेद की महत्ता को पूरा विष्व पहचान रहा है। लाॅकडाउन का सबसे बुरा प्रभाव प्रवासी मजदूरों पर पड़ा।

श्री गंगाजली शिक्षण समिति के अध्यक्ष  आई.पी. मिश्रा ने वेबिनार आयोजन के लिये महाविद्यालय परिवार को बधाई दी एवं कहा आने वाला समय ई-लर्निंग का होगा। जिसके लिये षिक्षक व विद्यार्थी तैयार रहें।

स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय के सीओओ डाॅ. दीपक षर्मा ने कहा कि लाॅकडाउन का यह समय हमें धैर्य, संयम, दया, सहयोग आदि सिखाता है। ऐसी विशम परिस्थिति में भी हम अपनी योग्यता एवं सामथ्र्य को पहचाने तो इस संकट से बाहर निकल सकते है।

शंकराचार्य काॅलेज आफ नर्सिंग की सीओओ डाॅ. मोनिशा शर्मा  ने कहा इस तरह के आयोजन कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिये आवशक है। जब हम एक साथ एकत्र नहीं हो सकते तो विचारों का आदान -प्रदान वेबिनार के माध्यम से कर सकते है।

स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय की प्राचार्य डाॅ. हंसा शुक्ला  ने समाज के लोगों एवं विद्यार्थियों को संयम बरतने कहा ज्यादा से ज्यादा लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन से कोविड-19 महामारी से बचा जा सकता है।

कार्यक्रम की सह-संयोजिका श्रीमती शैलजा पवार सहा.प्रा. षिक्षा विभाग ने कार्यक्रम के उद्देष्यों पर प्रकाष डालते हुये कहा कोविड-19 के कारण आर्थिक, मानसिक हर क्षेत्र में नकारात्मकता का माहौल है हम अपने वेबिनार के माध्यम से नकारात्मक माहौल को सकारात्मक में बदलने का प्रयास कर रहे हैं।

शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष डाॅ. पूनम निकुंभ ने भी विद्यार्थियों को अपने आस पास जागरुकता फैलाने तथा सोषल डिस्टेंसिंग रख सुरक्षित एवं स्वस्थ्य रहने की बात कही।

डाॅ. अनीता सावंत पर्यावरणविद् ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस लाॅकडाउन से हमारे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कार्बन एवं नाइट्रोजन का उत्र्सजन 25 प्रतिषत हो गया है। इस समय वायु प्रदूशण, जल प्रदूशण बहुत कम हुआ है। आज नदी का पानी इतना स्वच्छ हो गया है कि नदी की तलहटी दिखने लगी है। नदी के जल में डिजाल्वड आॅक्सीजन कम हो गया है इसमें 18 प्रतिषत कमी पायी गई है। हमारे छत्तीसगढ़ में यह लागू किया जा रहा है कि उद्योगों का जल यहाॅं कि नदियों में प्रवाहित न किया जाये।

प्रोफेसर तीर्थेष्वर सिंग इंदिरा गांधी नेषनल ट्राइबल युनिवर्सिटी अमरकंटक ने अपने वक्तव्य में कहा षिक्षा में सबसे बड़ा परिवर्तन आॅनलाईन टीचिंग का प्रचलन बढ़ा है। यह संकट ज्यादा दिनों तक नहीं रहने वाला। हम भारतीय की यह विषेशता है हम हर परिस्थिति का मुकाबला कर इस संकट से उबर जायेंगे।

डाॅ. आाषीश कुमार एसोसिएट प्रोफेसर डिपार्टमेंट आॅफ केमेस्ट्री ने अपने उद्बोधन में कहा पानी का संरक्षण आज बहुत आवष्यक है। इसमें हमें पानी का तमकनेमए तमनेमए तमबलबसम तकनीक का उपयोग कर जल संरक्षण करना होगा।

प्रोफेसर अजय कुमार सिंग असम विष्वविद्यालय सिलचर ने अपने वक्तव्य में आगामी वर्श में पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए 40 प्रतिषत आॅनलाईन टीचिंग, 60 प्रतिषत को फेस टू फेस टीचिंग करना होगा।

कार्यक्रम में षिक्षा विभाग की विभगााध्यक्ष डाॅ. पूनम निकुुंभ, दुर्गावती मिश्रा, श्रीमती षैलजा पवार, डाॅ. सुनीता वर्मा, श्रीमती मंजू कनौजिया, डाॅ. मनोज कुमार मौर्य, जिगर भावसार एवं टी. बबीता ने सहयोग प्रदान किया।  कार्यक्रम में 68 प्रतिभागियों ने अपनी सहभागिता दी तथा 13 प्रतिभागियों ने अपना पेपर प्रस्तुत किया।

 

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