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गौठान में भी उत्पादित हो रहा गुलबहार….ओफीलिया के प्रिय फूल डेजी का उत्पादन कर रही दमोदा समूह की महिलाएं…
हमारे गौठान में भी उत्पादित हो रहा गुलबहार….ओफीलिया के प्रिय फूल डेजी का उत्पादन कर रही दमोदा समूह की महिलाएं…
दुर्ग – शेक्सपीयर के ड्रामा हैमलेट में ओफीलिया फूलों के सहारे से अपना संकेत देती है। यहीं से फ्लावर एटीकेट की शुरूआत हुई। फूल अलग से मूड का प्रतीक बने, हैमलेट में ऐसा ही एक फूल आया है डेजी जो मासूमियत के प्रतीक के रूप में उभरा और यूरोप में सौंदर्यबोध के बाजार का प्रतीक बन गया। भारत में भी फूलों का बाजार चढ़ा है और इसका प्रमुख अंग है डेजी या जिसे हम गुलबहार भी कहते हैं। अच्छी बात यह है कि हमारे गौठानों ने भी इसे अपना लिया है। दमोदा गौठान में इस बार आधे एकड़ जमीन में समूह की महिलाओं ने डेजी लगाया है। समूह की अध्यक्ष योगिता देशमुख ने बताया कि हमें जिला पंचायत एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि फूलों की खेती में भी काफी संभावना है। जिले में गेंदे का फूल काफी होता है और अच्छा बिकता है लेकिन नये तरह के फूलों की खेती की कोशिश भी करनी चाहिए। उन्होंने हमें गुलबहार के बारे में बताया। हमने इसे लगाया और इसे दुर्ग के फूल बाजार में बेच दिया। इसकी अच्छी माँग है। उन्होंने बताया कि पहली बार के फूल आ गये हैं और बाजार में बिक गये, अभी आगे भी फूल आयेंगे और इसे बेचेंगे, हमें खुशी हुई कि हमारा प्रयोग सफल रहा। जिला पंचायत सीईओ श्री अश्विनी देवांगन ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने हर गौठान में अलग-अलग तरह की गतिविधि करने के निर्देश दिये हैं। इस क्रम में ऐसी चीजों की पहल की जा रही है जिसकी बाजार में अच्छी माँग हो। यह अच्छी बात है कि दमोदा की समूह की महिलाओं ने यह नया प्रयोग किया है। उन्होंने बताया कि हम ऐसे प्रयोग पर जोर दे रहे हैं जिसमें हमारे मार्केट की निर्भरता बाहर से आने वाले उत्पादों पर है और जिसे हम स्थानीय स्तर पर भी कर सकते हैं। इसका चिन्हांकन किया जा रहा है और इस तरह के नवाचार किये जा रहे हैं। इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए सहायक विकास विस्तार अधिकारी दुर्ग जनपद रुचि वर्मा ने बताया कि डेजी के फूलों में खरपतवार का खतरा कम होता है। अन्य फूलों की तुलना में यह फूल अधिक मजबूत होता है। चूंकि दुर्ग के बाजार में इसकी खपत भी है अतएव महिलाओं के लिए इस तरह का नवाचार उपयोगी हो सकता है। समूह की अध्यक्ष योगिता ने बताया कि उनके समूह का नाम जय अंबे समूह है और वे वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन भी कर रही हैं। इससे उन्हें 30 हजार रुपए आय हुई है।
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