सक्रिय ज्वालामुखी के विस्फोट का पूर्वानुमान लगाने के लिए खास ड्रोन विकसित
लंदन। धरती पर प्राकृतिक आपदाओं में एक आपदा सक्रिय ज्वालामुखी हैं। इस समय दुनिया में 300 ऐसे सक्रिय ज्वालामुखी है जिनकी निगरानी रखना एक चुनौती भरा काम है। इतना ही नहीं इनके बारे में पूर्वानुमान लगाना भी आसान नहीं जिससे उनके प्रस्फोट से पहले चेतावनी जारी की जा सके। इसके साथ ही ज्वालामुखी से निकलने वाली गैसों का मापन करना भी कठिन है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इन सभी समस्याओं का एक समाधान निकाल लिया है। नई रिपोर्ट में बताया गया कि वैज्ञानिकों ने एक खास तरह का ड्रोन विकसित किया है जो पापुआ न्यू गिनी के सक्रिय ज्वालामुखियों से आंकड़े जमा करने में उनकी मदद करेगा। ये ड्रोन स्थानीय लोगों की पास के ज्वालामुखियों पर नजर रखने में मदद करेंगे और भविष्य में होने वाले प्रस्फोट की जानकारी भी दे सकेंगे। इन ड्रोन के मापन से यह भी पता चल सकेगा कि पृथ्वी पर और कौन से अधिक सक्रिय और दुर्गम ज्वालामुखी हैं और ज्वालामुखी कार्बन चक्र में क्या भूमिका निभा रहे हैं। इन ज्वालामुखियों के पूर्वानुमान लगाने वाले ड्रोन को पापुआ न्यू गिनी के उत्तर पूर्व तट के पास केवल दस किलोमीटर चौड़े द्वीप में मनाम ज्वालामुखी में काम पर लगाया गया है। इस ज्वालामुखी वाले द्वीप में 9 हजार लोग रहते हैं। मनाम मोटु ज्वालामुखी इस देश का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है।
इन आधुनिकतम ड्रोन का उपयोग कर वैज्ञानिक ज्वालामुखियों के होने वाले विस्फोट का पूर्वानुमान लगा सकते हैं। ये आस पास के क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधियों पर नजर रख कर भूकंप के झटकों का पता लगा सकते हैं। ये झटके ज्वालामुखी विस्फोट के पहले आते हैं और ज्वालामुखी की दीवारों के नीचे पिघला पदार्थ, जिसे मैग्मा कहते हैं, के निकलने की जगह की तलाश का संकेत होते हैं। आसमान साफ होने पर सैटेलाइट भी ज्वालामुखी से उत्सर्जन को पहचान कर उनसे निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड जैसे गैसों का मापन कर सकते हैं। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की ज्वालामुखी विशेषज्ञ ऐमा लियू ने बताया कि मनाम का कभी इतना विस्तार से अध्ययन नहीं किया गया, लेकिन सैटेलाइट से आंकड़े लिए गए आंकड़ों से देखा जा सकता है कि वह बहुत तीव्र उत्सर्जन कर रहे हैं।
न्यूमैक्सिको यूनिवर्सिटी के जियोकैमिस्ट तोबियास फिशर का कहना है कि वे इस विशाल कार्बन उत्सर्जन करने वाले स्रोत से निकलने वाले उत्सर्जन का मापन करना चाहते हैं। एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने अक्टूबर 2018 से लेकर मई 2019 के बीच दो अभियानों में दो तरह के लंबी दूरी के ड्रोन का परीक्षण किया था। ये ड्रोन गैस सेंसर, कैमरा, और अन्य उपकरणों से सुसज्जित थे। मनाम ज्वालामुखी का गहरा ढाल इसके नीचे गैस के नमूने जमा करने के लिहाज बहुत खतरनाक है। लेकिन ड्रोन ज्वालमुखी के उत्सर्जन के बादलों में सुरक्षित रूप से जाकर ज्वालामुखी गैस उत्सर्जन को सटीक मापन कर सकते हैं। ज्वालामुखी इंसान के लिए दूर दूर तक खतरा बन जाते हैं। ज्वालामुखी से निकला उच्च तापमान वाला लावा जहां दूर तक बहकर लोगों को अपनी जगह छोड़ने पर मजबूर कर देता है तो वहीं जवालामुखी से निकली गैसें कई किलोमीटर तक लोगों के लिए सांस लेना मुहाल कर देती हैं। ऐसे में ड्रोन इनका अवलोकन कर इनसे संबंधित आंकड़े जमा करना मुमकिन बना रहे हैं।