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  • महिलाओं को अपना अस्तित्व को कायम रखना होता है मौलिकता न खोये- डाॅ. सुपर्णा श्रीवास्तव….

महिलाओं को अपना अस्तित्व को कायम रखना होता है मौलिकता न खोये- डाॅ. सुपर्णा श्रीवास्तव….

महिलाओं को अपना अस्तित्व को कायम रखना होता है मौलिकता न खोये- डाॅ. सुपर्णा श्रीवास्तव….

 

दुर्ग – राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश / अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के निर्देशानुसार एवं डाॅ. सुर्पणा श्रीवास्तव के अध्यक्षता में जिला न्यायालय परिसर दुर्ग के सभागार में ’’महिला संशक्तिकरण’’ के विषय पर महिला दिवस पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ डाॅ. सुपर्णा श्रीवास्तव एवं महिला न्यायाधीशगणों के द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया। दीप प्रज्जवल में महिला न्यायाधीशगण , महिला कर्मचारीगण उपस्थित हूए।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही डाॅ. सुर्पणा श्रीवास्तव ने कहा कि ’’ आज मै बहुत से सशक्त महिला से मिल रही हूॅ नारी तुम श्रद्वा हो, मान हो, सम्मान हो। नारी के महत्व को कभी नकारा नही जा सकता। हम उस देश में जन्म लिये है जहाॅ औरतों को देवी का रूप माना जाता है। महिला को अपने अस्तित्व को कायम रखना चाहिए उसे कभी खोना नही चाहिए। महिला की प्रथम पंक्ति की महिला ’’माॅ’’ होती है आज मै अपने माॅ को नमन करती हॅॅू। हम हर दिन महिला के महत्व को कायम रखेगें तथा कार्य स्थल पर अपना भरपुर योगदान देेगें।
कार्यक्रम में न्यायाधीश डाॅ. ममता भोजवानी ने कहा कि ’’ शाक्तिपर्व के इस पावन पर्व महिला दिवस पर सभी को शुभकामनाये देती हूॅ। महिला दिवस को प्रतिदिन मनाया जाना चाहिए। महिला के अंशदान को तुलना नही किया जा सकता है। महिला के अनेक रूप होते है। सर्वप्रथम माॅ होती है। न्यायाधीश श्रीमती गरिमा शर्मा ने अपने वक्तत्व में कहा कि ’’ सन् 1909 में जर्मनी में महिला दिवस की प्रारंभिक शुरूआत हुई महिला समान कार्य एवं समान वेतन के लिए शुरूआत किये। महिला को अपने परिवार एवं कार्य स्थल दोनों स्थानों पर अपने क्षमता को दिखाना पड़ता है। अपने सम्मान के साथ समझौता मत करीए। जो काम आप तनाव ग्रस्त स्थिति में करते है उसे प्रसन्नन चीत होकर करें। अपनी क्षमता, दक्षता को पहचानियें। न्यायाधीश सुश्री शुभ्रा पचौरी ने कहा कि ’’ कोविड संकमण के अवधि में महिलाओं ने अपनी क्षमता को दिखाया है। कई महिलाओं ने कोविड अवधि में अपने परिवार के साथ-साथ अपने कार्य स्थल के कर्तव्यों का निर्वहन भी किया गया है।
राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग ने महिलाओं के आत्मबल बढाने वाले वक्तव्य में कहा कि ’’ राष्ट्र की प्रगति को देखना होतो उस राष्ट्र की महिलाओं की प्रगति देखना होगा। सभी न्यायिक जिले में से दुर्ग न्यायिक जिले में सबसे अधिक महिला न्यायिक अधिकारी है। महिला न्यायिक कर्मचारियों की संख्या भी अधिक है। महिला न्यायिक कर्मचारियों के पास अधिक काम का प्रभार है। महिला कर्मचारियों को कार्यस्थल पर उत्साह के साथ काम करना चाहिए। किसी महिला कर्मचारी को किसी भी प्रकार की कार्य संबंधी समस्या अथवा पारिवारिक समस्याआ रही हो तो वह मुझसे साझा कर सकती है। मै हम संभव उनकी समस्या को सुलझाये जाने का प्रयास करूंगा।
कार्यक्रम में मंच संचालक न्यायिक अधिकारी कु. रूचि मिश्रा के द्वारा किया गया था। कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन श्री राहूल शर्मा के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में दुर्ग जिले के समस्त महिला न्यायिक अधिकारी एवं महिला तृतीय तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी उपस्थित रहें। उपस्थित महिला न्यायिक अधिकारियों एवं महिला न्यायिक कर्मचारियों को ’’महिला संशक्तिकरण’’ संबंधित बैंच लगाकर सम्मानित किया गया । साथ ही जिला एवं सत्र न्यायालय की महिला कर्मचारी श्रीमती सुमीता बोस, श्रीमती ममता गणवीर, श्रीमती उमा देवागंन, श्रीमती फुलेश्वरी को प्रतीक चिन्ह प्रदानकर सम्मानित किया गया।

 

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