शिशु के लिए अमृत जैसा है मां का दूध

 स्तनपान जरूर कराएं-शिशु सुरक्षा दिवस पर किया जागरूकता का प्रयास
राजनांदगांव। शिशुओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के लिए जिले में शिशु सुरक्षा दिवस मनाया गया। इस अवसर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका व मितानिन ने घर-घर जाकर चिन्हित गर्भवती महिलाओं और शिशुवती माताओं को शिशु के सुपोषण के लिए जागरूक करने का प्रयास किया। अस्पतालों में भी कई प्रेरक कार्यक्रम आयोजित किए गए। 
हर साल 7 नवंबर को शिशु सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। इस साल कोरोना संक्रमण के खतरे के कारण शिशु सुरक्षा दिवस डिजिटल तरीके से मनाया गया, जिसके अंतर्गत फेसबुक व व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रेरक स्लोगन पोस्ट कर शिशु की सुरक्षा के प्रति जागरूकता की अपील की गई। जिला अस्पताल के साथ ही जिले के सीएचसी व पीएचसी में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने बैनर-पोस्टर लगाकर शिशु सुरक्षा के संबंध में लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर दुधली के अंतर्गत कलकसा, रेंगनीए रेंघई व कोरगुड़ा गांव में अस्थाई ब्रेस्ट फीडिंग कार्नर बनाए गए। सीएचओ भूमिका साहू ने बताया कि ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नर्स में 13 शिशुवती माताओं को स्तनपान के फायदे बताते हुए व्यापक जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया कि, मां का दूध शिशु के लिए सबसे ज्यादा लाभदायक होता है। इसके अलावा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व मितानिन ने घर-घर जाकर शिशुवती माताओं व गर्भवती महिलाओं को स्तनपान कराने के तरीके बताए। 
इस संबंध में सीएमएचओ राजनांदगांव डॉ. मिथलेश चौधरी ने बताया, बच्चों में कुपोषण दूर करने का मूल उपाय लोगों में जागरूकता लाना है। शिशु के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए संस्थागत प्रसव पर जोर देते हुए समय-समय पर टीकाकरण आवश्यक है। इसी तरह विटामिन बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए फायदेमंद होता है। उन्होंने बताया, शिशु को स्तनपान कराना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह जच्चा व बच्चा दोनों के लिए काफी फायदेमंद है। शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है, इसीलिए कम से कम छह महीने तक शिशु को केवल स्तनपान ही कराएं एवं 6 महीने की आयु के बाद स्तनपान कराने के साथ-साथ ऊपरी पौष्टिक पूरक आहार भी देना चाहिए। 
वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग राजनांदगांव की जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश ने बताया, शिशु सुरक्षा दिवस के अलावा भी जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में रोजाना अनिवार्य गतिविधियों के साथ विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। संबंधित क्षेत्र की महिलाओं को पोषणयुक्त भोजन व साफ-सफाई के बारे में लगातार जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। 
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इसलिए जरूरी है जागरूकता
कई बार नवजात शिशु को उचित देखभाल ना मिलने व स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं की कमी के कारण, उनकी जन्म लेने के तुरंत बाद ही मृत्यु भी हो जाती है। यानी एक छोटी-सी लापरवाही व अनदेखी और जागरूकता में कमी, उस नवजात शिशु की जान ले लेती है। यह समस्या आमतौर पर शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र में अधिक पाई जाती है और लोगों में जागरूकता का अभाव ही इसका प्रमुख कारण माना जाता है। इसीलिए नवजात शिशुओं की सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने तथा उनकी उचित देखभाल के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल 7 नवंबर को शिशु संरक्षण दिवस मनाया जाता है, ताकि खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में शिशु मृत्यु दर में वृद्धि को नियंत्रित किया जा सके। 

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