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सुकमा ; शासन की मदद से बुधरी का सपना हुआ साकार

अकेले कंधों पर छः बेटियों को पालने वाली बुधरी की आंखों में शायद कभी अपने पक्के मकान में रहने के सपने देखने की ताकत भी नहीं थी, मगर प्रौढ़ावस्था की ओर बढ़ रही बुधरी का यह मुश्किल सपना साकार हो ही गया।
छिंदगढ़ विकासखण्ड के ग्राम लेदा में रहने वाली छः बेटियों की मां बुधरी के पति की अल्पायु में मृत्यु के कारण बच्चों के पालन पोषण की पूरी जिम्मेदारी बुधरी पर आ गई। बुधरी ने अपने हिस्से के लगभग तीन एकड़ खेती से किसी तरह गुजर बसर किया और पूरी जिम्मेदारी के साथ अपनी बेटियों का पालन-पोषण किया। मिट्टी की दीवाल और पत्थरों के छत से बने मकान में लगभग अपनी पूरी उम्र गुजारने वाली बुधरी के लिए पक्के मकान का सपना देखना भी मुश्किल था, मगर उसका यह सपना साकार हो ही गया।
कठिनाई भरी रही है जिन्दगी, फिर भी नहीं मानी हार
55 वर्षीया श्रीमती बुधरी नाग बताती है कि उनका जीवन कठिनाइयों भरा रहा है, बेटियां काम उम्र की थी तभी उनके पति श्री सुकुलधर नाग का स्वर्गवास हो गया। उनके ऊपर ही सभी संतानों के भरण पोषण और अच्छी पढ़ाई लिखाई का जिम्मा आ गया। महज तीन एकड़ के खेत में धान उगाकर जो कुछ थोड़ा मिलता उसी से अपने और अपने बच्चों का पर भरना पड़ा। फिर भी वह हिम्मत नहीं हारी और स्वयं तथा अपनी संतानों को एक बेहतर जीवन दिलाने का प्रयास हमेशा किया।
ऐसे में सर पर एक पक्की छत की कामना करना भी बुधरी के लिए सपने जैसा था। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण पक्के घर का निर्माण करवाना बुधरी के बस की बात नहीं थी। अपने परिवार के साथ वह अपने पुराने कच्ची छत और दीवार वाले झोपडी में रहती थी। कच्चे घर में बारिश के मौसम में रहना दूभर था, छत से पानी टपकने के साथ ही साँप, बिच्छू इत्यादि खतरनाक जीवों का घर में घुस जाने का डर हमेशा बना रहता था।
प्रधानमंत्री आवास योजना का मिला लाभ
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत वर्ष 2018-19 में आवास की स्वीकृति मिली तब जाकर बुधरी नाग के पक्के मकान का सपना साकार हुआ। आज पक्के मकान से बुधारी और उनकी बेटियों को बहुत राहत मिली है। अब उनकी जिंदगी बेहतर और सरल हो गई है।
बुधरी ने बताया कि पहले उन्हें अपने कच्चे घर की मरम्मत बार बार करनी पड़ती थी, खासकर बारिश के मौसम में। अब पक्के आवास से उनका यह खर्च बच जाता है। शासन द्वारा आवास के साथ ही उन्हें मनरेगा द्वारा शौचालय भी निर्माण करवा कर दिया गया है, और दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत एकल बत्ती कनेक्शन भी प्रदाय किया गया है।
श्रीमती बुधरी ने पक्के मकान के लिए आभार जताते हुए कहा कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि कभी पक्के मकान में जीवन बसर कर पाएंगी, किन्तु शासन की मदद से ही यह मुमकिन हुआ है। आज वह अपने पक्के निवास में अपनी बेटियों के साथ खुशी से जीवन यापन कर रही है।

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