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विदेशों में भी सजेंगे हमारे छत्तीसगढ़ के गोबर से बने दिए और वंदनवार

त्यौहार में गोबर से बने दियों और डेकोरेटिव आइटम्स से सजाइये अपना घर आंगन
गाँव के साथ साथ अब शहरों में महिलाएं बना रही हैं गोबर से विभिन्न सामग्रियां
सब सीखें और सब बढ़ें इस भावना को लेकर आगे बढ़ रही महिलाएं और दे रहीं प्रशिक्षण
गोबर के सजावटी सामान में डाले हैं मौसमी सब्ज़ियों और फूलों के बीज

दुर्ग. हमारे जिले के बने गोबर के दिए और वंदन वार अब विदेश में भी पहुंचने लगे हैं।भिलाई की महिलाओं द्वारा निर्मित गोबर से बनी सजावटी सामग्री को लंदन से भी ख़रीददार मिले हैं। इतना ही नहीं लखनऊ, महाराष्ट्र के मुंबई, अकोला, पंजाब, उत्तराखंड, रायपुर, राजनांदगांव ,कोरबा से भी आर्डर मिला है।उड़ान नई दिशा संस्था की श्रीमती निधि चन्द्राकर ने बताया आज ही उन्होंने लंदन भेजने के लिए दियों ,वंदनवार, वाल हैंगिंग की डिलीवरी दी है।रायपुर के पारख जी ने उनसे संपर्क किया उनके बेटे लंदन में रहते हैं जब उन्होंने देखा कि में गोबर से इतनी सुंदर वस्तुएं बनाई जा रही हैं तो क्यों न उनको को भेजें। ताकि देश से मीलों दूर रहकर जब वहाँ बसाए घर आंगन में गोबर के दिए रोशन होंगे तो अपनी संस्कृति से जुड़ाव भी महसूस होगा।

भिलाई में महिलाएं बना रही हैं गोबर से सजावटी सामान-हर सामग्री में मौसमी सब्ज़ियों के बीज ताकि उपयोग के बाद उगाए पौधे-
गोबर से बने दियों और सजावट के सामान का अब ग्रामीण अंचल में ही नहीं बल्कि शहरों में भी क्रेज़ है । नगरीय निकायों में भी महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया और त्यौहार के लिए दिए और अन्य सजावटी सामान बना रहीं भिलाई की उड़ान नई दिशा की महिलाओं ने गोबर से वंदनवार ,डेकोरेटिव दिए, वाल हैंगिंग,शुभ लाभ आदि बनाए हैं। एक नया प्रयोग भी किया है इन सामग्रियों में मौसमी सब्ज़ियों और फूलों के बीज भी डाले गए हैं ताकि उपयोग के बाद इनको गमले में डालकर पौधे उगाए जा सकें।दियों का मुल्य 2 रुपये,डेकोरेटिव दियों का मूल्य 50 से 150 रुपए , वंदन वार 150 से 250 रुपए और शुभ लाभ व लटकन 100 रुपए में उपलब्ध है।करीब 250 महिलाएं मिलकर ये काम कर रही हैं।

नंदौरी गाँव की महिलाओं ने चुनी स्वावलंबन की राह,अब और महिला समूहों को कर रही प्रशिक्षित
कहते हैं जहां चाह वहाँ राह ।यही कहानी है धमधा जनपद के नंदौरी के संगवारी स्व सहायता समूह की। समिति की अध्यक्ष श्रीमती रानी लक्ष्मी बाई बंछोर ने बताया कि जब उन्होंने सरकार की नरवा गरूवा घुरूवा बाड़ी ,गोधन न्याय योजना के बारे सोशल मीडिया पर देखा ,अखबारों में पढ़ा तो उनको भी रुचि उत्पन्न हुई कि घर पर बैठकर भी आमी अर्जित कर सकती हैं। मुख्यमंत्री जी ने गौठानों को रोजगार ठौर के रूप में विकसित करने की भी घोषणा की है तो क्यों न हम महिलाएं भी स्वावलंबन की दिशा में कदम बढ़ाएं। समूह बनाया और यू ट्यूब पर गोबर से दिए बनाने की विधि देखी।जनपद पंचायत से भी मदद मिली।उनका का सबको पसंद आया अब तो और लोगों को भी प्रशिक्षण दे रही हैं। राजनांदगांव के दूरस्थ मानपुर जनपद से भी महिलाएं प्रशिक्षण लेकर जा चुकी हैं।साथ ही पाटन के कई क्लस्टर की महिलाओं को भी इस समूह ने गोबर से दिए बनाना सिखाया है।ये दिए 30 से 35 रुपए दर्जन में उपलब्ध हैं।
राज्य शासन की पहल से गोबर के बहु आयामी उपयोग की राह खुली
किसने सोचा था जिस गोबर को हम किसी काम का नहीं समझते थे वही आज लाखों लोगों की आय का ज़रिया बन जाएगा। राज्य शासन की गोधन न्याय योजना से एक तरफ किसान व पशुपालकों की आय में इज़ाफ़ा हुआ है और वर्मी कम्पोस्ट व नाडेप खाद बनाकर जैविक खेती की राह तो रोशन हुई ही है।दूसरी ओर स्व सहायता समूह की महिलाओं ने गोबर से दिए एवं अन्य सजावटी सामान बनाकर न केवल अपने हुनर का प्रदर्शन कर रही हैं बल्कि आय भी अर्जित कर रही हैं।रक्षाबंधन में जहां गोबर से बनी राखियों को लोगों ने पसंद किया और गणेश चतुर्थी में गोबर व मिट्टी के गणेश घर घर विराजे अब नवरात्र और दीपावली के लिए दिए,धूप,वंदन वार,लटकन व शुभ-लाभ आदि सामग्रियाँ बाजार में आने की तैयारी में हैं।

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