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स्वरूपानंद महाविद्यालय में दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ…

स्वरूपानंद महाविद्यालय में दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ…

भिलाई। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग एवं स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय के रिसर्च डेवलपमेंट सेल एवं आईक्यूएसी सेल के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन सत्र हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरूणा पलटा के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। आधार वक्तव्य प्रोफेसर मदनलाल नायक छ.ग. जैवविविधता बोर्ड के सदस्य ने दिया, विशिष्ट अतिथि डॉ. प्रीतालाल डायरेक्टर (डीसीडीसी) हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग, डॉ युगल कुमार मोहंता स.प्रा. यूनिवर्सिटी साईंस एंड टेक्नॉलाजी मेघालय उपस्थित हुए। सम्मेलन इस वर्ष की थीम ”हमारी धरती हमारा भविष्य“ पर आधारित है सम्मेलन का विषय ”वाणिज्य नवाचारों द्वारा भूमि का सरंक्षण संवर्धन व पर्यावरण में संतुलन व स्थिरता स्थापित करना“ है।
कार्यक्रम संयोजिका डॉ. शमा ए. बेग ने कार्यक्रम के उद्देश्यों को बताते हुए कहा प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन व मनुष्य की अवांछित जीवन शैली से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। इस वर्ष विष्व पर्यावरण दिवस का विषय भूमि सुधार, सूखें की स्थिति और मरूस्थलीकरण को कम करना है जिससे विश्व को हरा-भरा व संसाधनों से भरपूर बनाया जा सकें। इस वर्ष का मेजबान सऊदी अरब गणराज्य है। विश्व सर्वे के अनुसार 40 प्रतिषत भूमि बंजर हो गई है जिससे आधी आबादी प्रभावित हो रही है। सूखे की संख्या 29 प्रतिषत बढ़ी है। इससे 2050 तक दुनिया की तीन चौथाई से अधिक आबादी प्रभावित होगी। अगर हम पृथ्वी को बचाने के लिए जागरूक नहीं हुए तो हमें भयंकर परिणाम भुगतने होगें।
प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने अपने उद्बोधन में कहा हमारी भूमि ही हमारा भविष्य है और जाने अनजाने में हम व्यक्तिगत तौर पर उसे हानि पहुँचा रहे है। हम सेमिनार, सम्मेलन में पर्यावरण के प्रति चिंता व्यक्त न करें बल्कि चिंतन करें की हम अपने आने वाली पीढ़ी को शुद्ध हवा, शुद्ध पानी, शुद्ध भूमि दें हम पेड़ लगाये, प्लास्टिक का प्रयोग न करें। घर से थैले लेके जायंे ई-कचरे का सही तरीके से फेकें जिसमें उसको रिसाईकिल किया जा सके अगर हम छोटे-छोटे प्रयास करें तभी हम पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते है।
अपने आतिथ्य उद्बोधन में हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अरूणा पलटा ने कहा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरणीय मुद्दों को लेकर अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन ऐतिहासिक है जहां हम अपने पर्यावरण के संरक्षण हेतु इतने प्रतिबद्ध है कि आज के अतिथि वक्ता भारत के एक छोर मेघालय से दूसरे छोर छत्तीसगढ़ तक पधारे है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह संगोष्ठी अत्यंत प्रांसगिक है जहां हम देख रहे है पर्यावरण में तेजी से बदलाव आ रहा है। आज छत्तीसगढ़ का तापमान 45 डिग्री पहुँच गया है क्या यह चिंतनीय नहीं है? क्या हम अपने आने वाली पीढ़ी को 55 से 60 डिग्री तापमान उपहार में देगें? हम भविष्य हेतु कितनी भी पूंजी एकत्र कर ले अगर पर्यावरण का संरक्षण नहीं किया तो सब व्यर्थ है हम पर्यावरण के तीन आर के साथ चौथा आर रिफ्यूज को भी जोड़ना होगा प्लास्टिक को ना कहने की आदत डालनी होगीं।
महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा व श्री शंकराचार्य नर्सिंग महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. मोनिषा शर्मा ने समसामयिक व आज की ज्वलंत समस्या पर कॉन्फ्रेंस आयोजन के लिए महाविद्यालय को बधाई दी व कहा सेमीनार से निकले पर्यावरण संरक्षण के उपाय निश्चित ही भविष्य के लिए उपयोगी साबित होगें।
इस अवसर पर महाविद्यालय द्वारा पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन व जागरूकता अभियान की विडियों दिखाई गयी। इमर्जिंग ट्रेंड ऑन इन्टेलेक्चुअल प्रार्पटी विषय पर आयोजित सेमिनार की शोध पत्रिका का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। यूनिवर्सिटी साईंस एंड टेक्नॉलाजी मेघालय के साथ स्वरूपानंद महाविद्यालय का एमओयू साइन किया गया। आधार व्यक्तव्य देते हुए एम.एल. नायक ने अपने आधार व्यक्तव्य में कहा छत्तीसगढ़ तालाबों का प्रदेश है। नब्बे के दशक तक लोग तालाबों का पानी ही पीते थें पर अब तालाबों का पानी प्रदूषित हो रहा है। विशेष कर शहरों के तालाबों में सीवरेज का पानी जा रहा है इससे अनेक जलकुंभी उसमें पनपना लगते हैं और उसे पोषण उस सीवरेज के पानी से मिलता है। भारत में औसतन तेरह सौ मिलीलीटर पानी गिरता है यहां सूखे की समस्या नहीं है बल्कि समस्या पानी को संरक्षित करने की है उन्होंने झूम खेती को पर्यावरण के लिए नुकसानदायक बताया साथ ही पर्यटन स्थल की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त की।
डॉ. प्रीतालाल ने इनोवेशन इन लैंड रीस्टोरेशन पर अपना व्याख्यान में बताया देश का दस प्रतिशत जीडीपी भूमि क्षरण कारण कम हो रहा है। भूमि सुधार पर अगर अभी हमने खर्च नहीं किया तो भविष्य में दुष्परिणाम भुगतने होंगे क्योंकि भूमि का उपजाऊपन समाप्त होगा हम अगर भूमि को सुधार नहीं सकते और बिगाड़ने का हक भी नहीं है। हम प्रकृति से उतना ही ले जितना आवश्यक है उन्होंने सघन वृक्षारोपण मिट्टी का संरक्षण व संवर्धन जलवायु स्मार्ट किसी पर प्रकाश डाला।
कांफ्रेस ऑनलाईन व ऑफलाइन मोड पर आयोजित किया गया जिसमें प्रदेश भर के प्राध्यापकों शोधार्थी व विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में मंच संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन स.प्रा. संयुक्ता पाढ़ी विभागध्यक्ष अंग्रेजी ने किया ।
कार्यक्रम को सफल बनाने में आईक्यूएसी प्रभारी डॉ. शिवानी शर्मा विभागध्यक्ष बायोटेक्नालाजी,डॉ. सुनीता वर्मा विभागाध्यक्ष हिंदी, श्रीमती रूपाली खर्चे विभागाध्यक्ष कम्प्यूटर, स.प्रा. जे.पी साहू, स.प्रा. योगिता लोखंडे माइक्रोबायोलॉजी, स.प्रा. समीक्षा मिश्रा माइक्रोबायोलॉजी, स.प्रा. अभिलाषा शर्मा, स.प्रा. एमएम तिवारी, स.प्रा. हितेश सोनवानी, स.प्रा. जया तिवारी ने विशेष योगदान दिया।

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