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भागवत लिखित कोटवार पुस्तक का हुआ मुख्यमंत्री द्वारा विमोचन…

भागवत लिखित कोटवार पुस्तक का हुआ मुख्यमंत्री द्वारा विमोचन

रायपुर। आभार कार्यक्रम मे माननीय भूपेश बघेल ने आज कोटवार सम्मेलन मे कोटवार पुस्तक का विमोचन किया । यह पुस्तक कोटवार के जीवन से संबंधित ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित है।
यह राजस्व कार्यो के साथ साथ आम ग्राम्य जीवन के कहानियों का संग्रह हैं । इस पुस्तक को कोटवार संघ के अध्यक्ष प्रेम किशोर बाघ ने इस कोटवार आधारित रचना को माननीय मुख्यमंत्री जी को भेंट किया ,इस कार्यक्रम मे उपस्थित मंत्री गणो यथा राजस्व मंत्री, पंचायत मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री,नंद कुमार साय जी, अन्य जनप्रतिनिधियों व अधिकारीगणो ने इस रचना पर अपनी सकारात्मक अभिव्यक्ति दी । इस पुस्तक को मूल रूप मे भागवत जायसवाल (संयुक्त कलेक्टर) ने लिखा है। इस पुस्तक का उद्देश्य ग्राम्य जीवन मे कोटवार की भूमिका को इंगित करना है।

90 के दशक् पर आधारित छत्तीसगढ़ के एक गांव की कहानी लिखी गयी है,जिसमे कोटवार की गांव भूमिका है, एक निश्छल प्रेम है, युवा की संघर्ष है,अपराध है, जमीन विवाद है, भावनाप्रद किस्से है, साथ मे मनोरंजक व्यंग्य है, जो आपस मे गुथे हुए है… एक प्रशासनिक व्यक्तित्व द्वारा रचित ग्रामीण सामाजिक प्रशासनिक व्यवस्था पर आधारित जीवंत कहानी है।
ग्रामीण जीवन को सचित्र कर देने वाली कहानी,आपको यह डूबा ले जाएगी गांव की गलियों मे एक फिल्म की भांति अहसास और रोमांच दिलानी वाली कहानी है।

कोटवार को हम कैसे पहचानते है, इसके ड्रेस से पहचानते है, आपके लगभग हरेक गांव मे एक ड्रेस धारी, बिल्लस लगाए, सरकार का प्रतिनिधि होता है कोटवार
ये कभी जमींदारी प्रथा मे भी था, मालगुज़ारो ने अपनाया , ये गांव मे इनके नजरदार होते थे, अंग्रेजो ने तो इस पद को सुरक्षा पद बना दिया, गांव का एक लोकल पुलिस बना दिया, गांव मे कुछ भी समस्या हो, अपराध हो ,विवाद हो उसको सबसे पहले कोटवार निपटाता न निपटे तो सूचना तत्काल थाने तहसील तक पहुचाता।
कोट का मतलब होता है, महल या किला
और कोटवार का मतलब उस महल का रखवाला, बाद मे यही कोटवार गांव तक पहुंचने लगे और गांव रखवाला बन के सेवा करने लगे।

अंग्रेजी हुकूमत ने कोटवार को गांव का सूचना प्रदाता, सूचना वाहक,जमीन विवाद हो या और कुछ हो इन विवादों को निपटाने के लिए कोटवार से सलाह जरूर लेते। यह गांव के सीमाओ का सरंक्षक होता ।कुछ गांव गांव धीरे धीरे शहर बनने लगे, और यही कोटवार शहर के कोतवाल बन गये, जिसके लिए ऑफिस बना जो आज भी कोतवाली कहलाता है,कोतवाली थाना

इस महत्वपूर्ण भूमिका को कहानी मे रचने वाली यह उपन्यास एक मनोरंजक अनुभवों की गाथा है।

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