राजिम भक्तिन माता के सन्देश को जीवन में उतारने की जरूरत: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
राजिम भक्तिन माता के सन्देश को जीवन में उतारने की जरूरत: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजिम भक्तिन माता जयंती महोत्सव में हुए शामिल
साहू समाज छत्तीसगढ़ का एक प्रगतिशील समाज
रायपुर । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज छत्तीसगढ़ के त्रिवेणी संगम राजिम में आयोजित राजिम भक्तिन माता जयंती समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने महोत्सव स्थल पर भगवान श्री राम जी की भव्य एवं विशाल मूर्ति का अनावरण किया। मुख्यमंत्री ने समाज के पदाधिकारी एवं प्रतिनिधियों के साथ श्री राजीव लोचन भगवान एवं मंदिर परिसर में विराजित राजिम भक्तिन माता की महाआरती व पूजा अर्चना कर राज्य और समाज की खुशहाली की कामना की।
इस अवसर पर गृह मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, सांसद श्री चुन्नी लाल साहू, संसदीय सचिव सुश्री शंकुतला साहू, विधायक श्री धनेंद्र साहू, श्री अमितेश शुक्ल, तेलघानी बोर्ड के अध्यक्ष श्री संदीप साहू, साहू, साहू समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जयदत्त क्षीरसागर, प्रदेशाध्यक्ष श्री टहल राम साहू सहित अनेक जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने महोत्सव स्थल पर राजिम भक्तिन माता जयंती समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि साहू समाज एक प्रगतिशील समाज है, हम सबको राजिम भक्तिन माता एवं माता कर्मा के बताए संदेशों का अनुसरण करना होगा। उन्होंने प्रदेशवासियों को राजिम माता भक्ति जयंती की बधाई दी और कहा कि राजिम माता ने जिस साहू समाज को अपनी मेहनत और त्याग से संगठित किया, आज वह समाज शिक्षा, कृषि व व्यवसाय सहित सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है और दूसरे समाज भी उनका अनुसरण कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसा प्रयागराज का महत्त्व है, उसी तरह छत्तीसगढ़ के लिए राजिम का भी महत्व है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजिम को व्यवस्थित रूप में बसाने की आवश्यकता है, राज्य सरकार इस दिशा में तेजी से कार्य कर रही है। नवीन मेला स्थल की आवश्यकता को देखते हुए 54 एकड़ जमीन में इसे विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब साधु संत, श्रद्धालुओं सबके लिए यहां आवास एवं अन्य व्यवस्थाएं उपलब्ध होंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि तेलघानी बोर्ड के गठन से यहां तेल के व्यवसाय को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और आजीविका के लिए अनेकों कार्य किए हैं। उन्होंने कहा कि प्राइमरी स्कूल के विकास के लिए एक हजार करोड़ रुपए और आईटीआई के लिए 12 सौ करोड़ रुपए की धनराशि का अनुमोदन किया गया है। राज्य की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय त्यौहारों में अवकाश दिया गया है। छत्तीसगढ़िया संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है।
इस अवसर पर गृह, जेल एवं लोक निर्माण मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू ने राजिम भक्तिन माता की जयंती एवं नववर्ष की बधाई देते हुए कहा कि साहू समाज एक संगठित समाज के रूप में जाना जाता है। यह समाज अन्य समाज को भी दिशा दे सकता है। आज साहू समाज सामाजिक समरसता का सबसे बड़ा उदाहरण है। उन्होंने नवीन मेला स्थल में किये जा रहे विकास कार्यों की प्रगति के सम्बंध में जानकारी दी। गृह मंत्री ने कहा कि धर्मशाला, फोरलेन सड़क, आवास शौचालय, घाट आदि के निर्माण किए जा रहे हैं। राम वन गमन पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए यहां अभी तक 5 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। उन्होंने सामाजिक बुराई को मिटाने के लिए समाजिक जनों से आगे आने का आह्वान किया।
समारोह को महासमुन्द सासंद श्री चुन्नी लाल साहू ने भी सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि साहू समाज ने आदर्श सामूहिक विवाह का आयोजन कर राज्य ही नहीं देश में मिशाल कायम की है। उन्होंने कहा कि साहू समाज ने सेवा कार्य में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। अभनपुर विधायक श्री धनेंद्र साहू ने उद्बोधन में कहा कि यह साहू समाज के लिए गौरव का विषय है कि राजिम भक्तिन माता हमारे समाज की आराध्य देवी हैं। राजिम नगरी का नाम माता राजिम के नाम से ही पड़ा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार किसानों के लिए जो कार्य कर रही हैं, वह किसी सरकार ने अब तक नहीं किया।
कार्यक्रम को राजिम विधायक अमितेश शुक्ल ने सम्बोधित करते हुए कहा कि साहू समाज सबको दिशा देने का काम करता है और सभी समाजों को साथ लेकर चलता है। राजिम भक्तिन माता का आशीर्वाद इस क्षेत्र को मिलता रहा है। उन्हें भी हमेशा से ही समाज का भरपूर सहयोग, समर्थन और प्यार मिलता रहा है। यह समाज एक संगठित समाज है। समारोह को पूर्व सासंद चंदू लाल साहू, एवं साहू समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयदत्त क्षीरसागर एवं प्रदेशाध्यक्ष टहल राम साहू ने भी संबोधित किया।
समारोह में गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महंत राम सुंदर दास, पूर्व सांसद चंदू लाल साहू, प्रदेश साहू संघ के उपाध्यक्ष मोहन कुमारी साहू एवं भुनेश्वर साहू, साहू समाज के पदाधिकारी, सहित साहू समाज के पदाधिकारी, प्रतिनिधि, सदस्य और बड़ी संख्या में स्वजातीय बन्धु मौजूद थे।