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स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में विद्यार्थियों को पर्यावरण अध्ययन पाठ्यक्रम के अंतर्गत जैविक खाद बनाना सीखाया गया…
स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में विद्यार्थियों को पर्यावरण अध्ययन पाठ्यक्रम के अंतर्गत जैविक खाद बनाना सीखाया गया।
भिलाई। पर्यावरण अध्ययन प्रभारी स.प्रा. संजना सोलोमन ने बताया पर्यावरण अध्ययन को अनिवार्य विषय के रूप में पाठ्य्रकम में शामिल किया गया है। जिससे विद्यार्थी पर्यावरण के प्रति जागरूक हो व संरक्षण में अपना योगदान दे इसमें व्यावहारिक ज्ञान देने के लिये फील्ड वर्क भी रखा गया है जिसमें विद्यार्थियों केा व्यवहारिक ज्ञान दिया जा सकें।
फील्ड वर्क के तहत् विद्यार्थियों को महाविद्यालय परिसर से निकले कचरे, पेड़ पौधें के पत्ते, पूराने कफल आदि को एकत्र कर सडाया गया, बीच-बीच में मिट्टी की परत डाली गई कुछ समय पश्चात् सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा अपघटित होकर सूक्ष्म खाद् के रूप में परिवर्तित हो जाती है। इस प्रक्रिया से बनी खाद को कम्पोष्ट खाद व खाद बनाने की प्रक्रिया को कम्पोस्टीकरण कहा जाता है। प्राकृतिक प्रक्रिया से बनी खाद में घरेलु कचरे का हम प्रयोग कर सकते है वे खाद बना अपने कीचन गार्डन में प्रयोग कर सकते है वही रसायनिक खादो से होने वाले दुष्प्रभाव से पर्यावरण को बचाया जा सकता है कचरे को प्रबंधित करने की समस्या से भी छूट कारा मिलता है। चादह से पंद्रह दिन में यह खाद तैयार हो जाता है।
महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.दीपक शर्मा ने कहा इस प्रकार की गतिविधि से विद्यार्थियों को व्यवहारिक ज्ञान मिलता है व पर्यावरण को सुरक्षित करने में सहायक होते है। हम अपने समाजिक सहभागिता का निर्वहन कर सकते है।
प्राचार्य डॉ.हंसा शुक्ला ने जैविक खाद बनाने की तकनीक की सराहना करते हुये कहा रसायनिक प्रदार्थो से बने खाद पेड़ पौधे, मिट्टी व पर्यावरण के लिये नुकसानदाय होते है इसलिए हमें अधिक से अधिक जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए।
विद्यार्थी कचरे से खाद बनाना सीख कर खुश थे तथा उन्होने संकल्प लिया कि हम अपने घर में ऐसे ही खाद बनायेगें तथा आस-पास के लोगों को कचरे से खाद बनाना सीखायेगें जिससे हम पुनः जैविक खाद के उपयोग की दिशा मे अग्रसर होगें।
कार्य को पूर्ण करने में स.प्रा.अपूर्वा शर्मा बॉयोटेक्नोलॉजी का विशेष योगदान रहा।