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पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पाण्डेय एवं आयोजन समिति के सदस्यों द्वारा कथावाचक चिन्मयानंद बापू का स्मृति चिन्ह एवं शाल से सम्मान किया…

भिलाई नगर। खुर्सीपार श्रीराम चौक, दशहरा मैदान में आयोजित श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ एवं श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का आज समापन हुआ। जहां राष्ट्रीय संत श्री चिन्मयानंद बापू द्वारा अंतिम दिन की कथा में सीता हरण, लंका दहन, राम-रावण युद्ध, विभीषण का राज्याभिषेक सहित राजा राम के राज तिलक प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन किया। इस दौरान प्रभु श्रीराम की अयोध्या वापसी की प्रतीकात्मक झांकी निकाली गई, जिसका राज तिलक लगाकर स्वागत किया गया।वहीं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पाण्डेय एवं आयोजन समिति के सदस्यों द्वारा कथावाचक चिन्मयानंद बापू का स्मृति चिन्ह एवं शाल से सम्मान किया गया।

चिन्मयानंद बापू ने कहा कि रामायण हमें जीने के तरीके सिखाती है। कथा व्यास ने श्रीराम कथा का वर्णन करते हुए कहा गया कि दूसरों की सम्पत्ति चाहे कितनी भी मूल्यवान हो उस पर हमारा कोई अधिकार नहीं है। चौदह वर्ष वनवास पूर्ण करने के बाद भगवान श्रीराम जब वापस अयोध्या पहुंचे तो अयोध्यावासी खुशियों से झूम उठे। रामायण हमें आदर, सेवा भाव, त्याग व बलिदान के साथ दूसरों की सम्पत्ति पर हमारा कोई अधिकार नहीं है, ऐसा सिखाती है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार भगवान श्रीराम ने दीन-दुखियों, वनवासियों आदिवासियों के कष्ट दूर करते हुए, उन्हें संगठित करने का कार्य किया एवं उस संगठित शक्ति के द्वारा ही समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर किया। हर राम भक्त का दायित्व है कि पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें। यह राम कार्य है। श्रीराम के राज्याभिषेक का वर्णन किया और बताया कि बुराई और असत्य ज्यादा समय तक नहीं चलता। अन्तत: अच्छाई और सत्य की जय होती है। अधर्म पर धर्म की जीत हमेशा होती आई है। श्रीराम के राज्याभिषेक के प्रसंग के दौरान पूरे पंडाल में पुष्पों की वर्षा भक्तों द्वारा की गई।

कथावाचक चिन्मयानंद बापू ने कथा का समापन पर आयोजन स्थल में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को कहा कि श्रीराम कथा हमें जीवन जीने का सही मार्ग प्रदर्शित करती है। यह मात्र एक कथा नहीं बल्कि जीवन जीने का सूत्र है कि किस प्रकार हमें एक प्रभु के आदर्श पथ पर चलना चाहिए। हमें एक आदर्श पुत्र, आदर्श पति एवं आदर्श भाई के कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले 9 दिनों में हमने यहां प्रभु के जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों को सुना है। हमें इन सभी बातों का अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना होगा। तभी रामराज्य स्थापित किया जा सकेगा। कथा के अंतिम दिन आज आयोजन परिसर में भण्डारे का भी आयोजन हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की।

नौ दिवसीय श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का हुआ समापन
श्रीराम जन्मोत्सव समिति व जीवन आनंद फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के अंतिम दिन आज यज्ञ में पूर्णाहूति दी गई। आयोजन समिति ने बताया कि नौ दिनों तक देवताओं को आवाहित करने तथा नारायण भगवान को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ का आयोजन किया गया था। जिसके अंतिम दिवस आज 1011 श्रीफल के द्वारा प्रयाग एवं वाराणासी से आए वैदिक ब्राम्हणों के द्वारा श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का समापन किया गया।

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