• social news
  • मनुष्य जीवन भोग लिए नहीं बल्कि मदद के लिए है: चिन्मयानंद बापू…श्रीराम चौक दशहरा मैदान जोन -2 में श्रीराम ज्ञानयज्ञ एवं श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का चौथा दिन…

मनुष्य जीवन भोग लिए नहीं बल्कि मदद के लिए है: चिन्मयानंद बापू…श्रीराम चौक दशहरा मैदान जोन -2 में श्रीराम ज्ञानयज्ञ एवं श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का चौथा दिन…

मनुष्य जीवन भोग लिए नहीं बल्कि मदद के लिए है: चिन्मयानंद बापू

श्रीराम चौक दशहरा मैदान जोन -2 में श्रीराम ज्ञानयज्ञ एवं श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का चौथा दिन

भिलाई। श्रीराम जन्मोत्सव समिति एवं जीवन आनंद फाउण्डेशन द्वारा श्रीराम चौक, जोन 2 खुर्सीपार में आयोजित श्रीराम ज्ञानयज्ञ एवं श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के चौथे दिन कथावाचक राष्ट्रीय संत श्री चिन्मयानंद स्वामी ने मानव जीवन की महत्ता पर प्रकाश डाला। व्यासपीठ से उन्होंने मानव के तन एवं मन के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि मनुष्य को यह तन केवल भोग के लिए नहीं मिला बल्कि दूसरों की मदद के लिए भी इसकी उपयोगिता है। इसी प्रकार मन भी ज्ञान प्राप्त कर अपने विवेक से निर्णय लेने व सही और गलत में भेद करने के लिए है। श्रीराम कथा के चौथे दिन आज अतिथि के रूप में पाटेश्वर धाम के संत श्री श्री 1008 बाबा रामबालक दास जी महात्यागी, प्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पाण्डेय, पूर्व मंत्री व कुरूद विधायक अजय चंद्राकर, वरिष्ठ भाजपा नेता भूपेंद्र सवन्नी, दुर्ग जिला भाजपा अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा एवं भाजपा नेता सत्यनारायण अग्रवाल शामिल हुए।

इससे पहले सुबह कथा स्थल पर बने यज्ञ कुठिया में प्रतिदिन की तरह श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ हुआ। सुबह से शुरू हुए इस महायज्ञ में क्षेत्र के श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल हुए। वेद मंत्रों के साथ क्षेत्र की खुशहाली की कामना करते हुए यज्ञ वेदिका में आहूतियां समर्पित की गई। यज्ञ के दौरान श्रद्धालु कुटिया के चारों ओर प्रदक्षना भी करत दिखे। श्रीराम कथा के साथ यहां प्रतिदिन धार्मिक रिति के अनुसार महायज्ञ हो रहा है। महायज्ञ के बाद दोपहर को कथा वाचक चिन्मयानंद बापू द्वारा श्रीराम कथा का वाचन किया जा रहा है।

ईश्वर की कृपा से मिला मानव शरीर
कथा को आगे बढ़ाते हुए चिन्मयानंद बापू ने बताया कि ईश्वर से कृपा से ही हम सभी को मानव शरीर प्राप्त होता है। जिस जीव के कान में भगवत मंत्र चला गया तो उसका उद्धार होना निश्चित है। उसे कहीं दर- दर की ठोकरें नहीं खानी पड़ेगी। भगवान अपने सभी भक्तों का ख्याल रखते हैं। उन्होंने रामचरित मानस की ओर प्रकाश डालते हुए कहा कि रामचरित मानस सुनने से चित्त पवित्र होता है और व्यक्ति भी व्यक्तित्व से विराट हो जाता है। रामचरित में भारत की आत्मा बसती है, क्योंकि हमारे वेद-ऋचाओं में ही दिव्य भारत के कलपना की गई है। हमें यदि इस दिव्यता को धारण करना है तो सांस्कृतिक-वैदिक महल में जाकर खड़ा होना ही होगा। चिन्मयानंद बापू ने कहा कि लोग आज भी भगवान की मर्यादा का पालन कर रहे हैं। लोग-मंगल की कामना को लेकर प्रभु इस धराधाम पर अवतरित हुए। उन्होंने पूरी दुनिया को मानवता का पाठ पढ़ाया। उनके मूल्यों व आदर्शों पर हम किस प्रकार सहयोगी बन सकते हैं। उस पर आज चिन्तन और मनन की जरूरत है।

लोगों की करूण पुकार पर अवतरित हुए भगवान राम
रामकथा के चौथे दिन कथावाचक चिन्मयानंद बापू ने श्रद्धालुओं को कथा का रसास्वादन कराते हुए प्रभु श्रीराम के जन्म के प्रसंग को आगे बढ़ाया। उन्होंने बताया कि जब धरती पर अत्याचार, दुराचार भ्रष्टाचार बढ़ गया तो धरती माता ने देवों से गुहार करते हुए कहा कि इससे अधिक अत्याचार बर्दाश्त नहीं कर सकती। इस पर पृथ्वी माता ने गौ (सुरभि)का रूप धारण किया और समस्त देवता एकत्रित होकर भगवान श्री नारायण की शरण में गए। इसके बाद वे राक्षसों के संहार, भूमि का भार हरण तथा भक्तों के उद्धार की प्रार्थना करते हैं। इससे भगवान श्री हरि उनकी प्रार्थना सुनकर राम का अवतार लेकर पृथ्वी पर अवतरित होते हैं। प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव का प्रसंग आते ही कथास्थल पर उपस्थित श्रद्धालु भाव-विभोर होकर झूमने लगे और पूरा परिसर भक्तिमय हो चला।

ADVERTISEMENT