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अत्यधिक स्नान से बीमार हुए महाप्रभु जगन्नाथ… चौदह दिनों तक अणसर गृह में रहकर लेंगे स्वास्थ्य लाभ… सेक्टर 4 व 6 के श्री मंदिर में मनाया गया देव स्नान पूर्णिमा…

अत्यधिक स्नान से बीमार हुए महाप्रभु जगन्नाथ…
चौदह दिनों तक अणसर गृह में रहकर लेंगे स्वास्थ्य लाभ…
सेक्टर 4 व 6 के श्री मंदिर में मनाया गया देव स्नान पूर्णिमा…


भिलाई – इस्पात नगरी के सेक्टर 4 व 6 में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में आज पारम्परिक विधि विधान से देव स्नान पूर्णिमा का आयोजन किया गया। महाप्रभु जगन्नाथ अत्यधिक स्नान करने में बीमार पड़ गए। चौदह दिनों तक अणसर गृह में श्री जगन्नाथ का विभिन्न जड़ी बूटियों व दिव्य औषधियों का भोग लगाकर उपचार किया जाएगा। कोरोना के कारण पिछले दो साल से सादगी के साथ देव स्नान पूर्णिमा मनाया गया। इस बार कोरोना से राहत के चलते भक्तों का उत्साह देखते बना।
श्री जगन्नाथ मंदिर सेक्टर-4 में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की 53 वीं रथयात्रा महोत्सव मनाने जा रही है। रथयात्रा की पहली कड़ी के रुप में आज श्री जगन्नाथ मंदिर सेक्टर-4 में देवस्नान पूर्णिमा का धार्मिक आयोजन संपन्न हुआ। इस आयोजन के तहत महाप्रभु श्री जगन्नाथ स्वामी जी को गर्भगृह से निकाल कर मंदिर प्रांगण में स्थित देव स्नान मंडप पर लाया गया। देव स्नान मंडप में समस्त विधि-विधान के साथ महाप्रभु श्री जगन्नाथ स्वामी जी, बड़े भाई, भगवान श्री बलभद्र देव जी, तथा बहन, माता सुभद्रा जी को सुगंधित जल से स्नान कराया गया। देव स्नान की यह धार्मिक पूजा समस्त रीति-रिवाजों के साथ पुरोहित श्री पितवास पाढ़ी तथा सरोज दास, रंजन महापात्र, संकेत दास व विक्रम पाढ़ी द्वारा संपन्न्न किया गया।
देव स्नान के पश्चात महाप्रभु के बीमार पड़ने के कारण उन्हे विश्राम हेतु अणसर गृह में स्थापित किया गया। आज से लेकर 29 जून के नेत्र उत्सव तक महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के मंदिर के पट बंद रहेंगे। इस अवधि में महाप्रभु को विभिन्न जड़ी बूटियों व दिव्य औषधियों का भोग लगाया जायेगा। दिनांक 29 जुन को संध्या बेला में नेत्र उत्सव का आयोजन किया जायेगा। तत्पश्चात महाप्रभु के मंदिर का पट दर्शन हेतु खोले जायेंगे। इसके पश्चात् दिनांक 01 जुलाई को सेक्टर-4 स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर परिसर से रथयात्रा निकाली जायेगी जो सेक्टर 10 स्थित गुंडिचा मंडप तक ले जाया जायेगा।
देव स्नान के इस पावन उत्सव को सफल बनाने में जगन्नाथ समिति के अध्यक्ष वीरेन्द्र सतपथी, महासचिव सत्यवान नायक, कोषाध्यक्ष डी त्रिनाथ,अनाम नाहक,वृंदावन स्वांई, बीसी बिस्वाल, भीम स्वांई, बसंत प्रधान सहित समिति के पदाधिकारी सर्वश्री त्रिनाथ साहू, सुशांत सतपथी, कालू बेहरा, बीस केशन साहू, निरंजन महाराणा, कवि बिस्वाल, संतोष दलाई, प्रकाश स्वांई, प्रकाश दास, रवि स्वांई,रमेश कुमार नायक, सीमांचल बेहरा, सुदर्शन शांती, शत्रुघ्न डाकुआ,एस सी पात्रो, कैलाश पात्रो, वी के होता ने विशेष योगदान दिया। इस अवसर पर श्रद्धालुगण उपस्थित थे ।
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गजराज भेष में हुआ महाप्रभु का श्रंगार
देव स्नान समारोह के पूरा होने के बाद, देवताओं को सामान्य वस्त्र पहनाया गया। बाद में दोपहर में, भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की मूर्तियों को फिर से हाथी अर्थात गजराज (भगवान गणेश के रूप में) के रूप में तैयार किया गया । देव स्नान पूर्णिमा के दिन भगवान को प्रसाद के रूप में विशेष भोग तैयार अर्पित किया गया। चौदह दिनों तक महाप्रभु जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र स्वामी श्री मंदिर के बजाय अणसर गृह में रहेंगे। 29 जून को नेत्र उत्सव के दिन प्रभु जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र स्वामी नव यौवन रुप में दर्शन देंगे। वहीं 1 जुलाई को रथयात्रा का आयोजन किया जाएगा।

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