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यूपीएससी में चयन के लिए जगह बाधा नहीं, भाषा बाधा नहीं, कोचिंग की बाधा नहीं और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाओं की भी बाधा नहीं…बीआईटी दुर्ग में जुटे पांच यूपीएससी टापर ने अपने अनुभव किये साझा…

यूपीएससी में चयन के लिए जगह बाधा नहीं, भाषा बाधा नहीं, कोचिंग की बाधा नहीं और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाओं की भी बाधा नहीं
बीआईटी दुर्ग में जुटे पांच यूपीएससी टापर ने अपने अनुभव किये साझा
बताया सोशल मीडिया से दूर रहे, मौलिक मटेरियल से की पढ़ाई

दुर्ग – यूपीएससी में चयन के लिए जगह की बाधा नहीं होती। रायपुर से पढ़कर भी सलेक्शन होता है। बिना कोचिंग के भी सलेक्शन होता है। हिंदी मीडियम से भी सलेक्शन होता है और इसके लिए जरूरी नहीं कि सबसे प्रतिष्ठित संस्थाओं से आपने पढ़ाई की हो। दुर्ग में पांच टापर्स जुटे और सब अलग-अलग एजुकेशन फील्ड थे, सबने कहा कि अपने पसंद का सबजेक्ट चुनो और खूब पढ़ो। टापर श्रद्धा शुक्ला ने कहा कि वो रायपुर से हैं उन्होंने कोचिंग नहीं ली और मौलिक मटेरियल पढ़ा। रायपुर से ही पढ़ाई भी की। पूजा ने बताया कि वो मगरलोड से हैं घर में इंटरनेट का कवरेज ही नहीं। इंटरनेट चाहिए तो ऊपर छत पर जाना पड़ता है। फिर भी चयन में इसके लिए कोई बाधा नहीं आई। पूजा ने बताया कि उन्हें लगा कि सोशल मीडिया तो सबसे ज्यादा बाधक है पढ़ाई के लिए और तीन साल तक सोशल मीडिया देखा ही नहीं। उन्होंने कहा कि पहले दो अटेम्प खराब हुए लेकिन हिम्मत नहीं हारी। निगेटिव लोगों से दूर रही। पाजिटिविटी आपके अंदर है इसके लिए मसूरी जाकर मोटिवेशन नहीं लेना पड़ता, ऐसा मोटिवेशन टिकता नहीं है। अभिषेक अग्रवाल ने कहा कि जाब में हैं इसलिए समय मैनेज करना पड़ा। कोई जाब के साथ भी पढ़ाई कर सकता है। अक्षय पिल्लै ने कहा कि इंजीनियरिंग के सब्जेक्ट लेकर भी चयनित हुआ जा सकता है। कोई भी विषय हो, उसमें आपकी पकड़ मायने रखती है। दिव्यांजलि ने कहा कि यूपीएससी की तैयारी मैराथन दौड़ के जैसी है। इसमें सही रणनीति रखना बहुत जरूरी है।

कलेक्टर ने भी अपने अनुभव साझा किये- कार्यशाला में कलेक्टर डा. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने भी अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने बताया कि जिस तरह साढ़े तीन घंटे आप लोग लगातार धैेर्य से आज टापर्स को सुन रहे हैं। कुछ वर्षों पहले मैंने भी ऐसे ही एक कार्यशाला अटेंड की थी जिसमें खड़े हुए साढ़े तीन घंटे टापर्स को सुना था। जहां आपके इंटेलीजेंस की सीमा होती है वहां से हार्डवर्क काम करना शुरू कर देता है।
एसपी ने साझा किये अपने अनुभव- एसपी डा. अभिषेक पल्लव ने भी अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने कहा कि हार्ड वर्क का कोई विकल्प नहीं है। स्मार्ट वर्क की शुरूआत भी हार्ड वर्क से हुए अनुभवों से होती है। कोई यूपीएससी की तैयारी करें तो उसे पूरी तौर पर समर्पित होकर तैयारी करनी होगी। जब तक पूरे संकल्प से अपनी शक्ति इसमें झोंक नहीं देंगे, तब तक सफलता नहीं मिलेगी लेकिन सही रणनीति से यदि कड़ी मेहनत की जाए तो सफलता तय है।
प्रतिभागियों ने भी पूछे प्रश्न- इस दौरान प्रतिभागियों ने भी प्रश्न चयनित अभ्यर्थियों से पूछे। कार्यशाला के अंत में अपर कलेक्टर श्रीमतती पद्मिनी भोई ने आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आज की कार्यशाला से निश्चित रूप से ही अभ्यर्थियों को सहयोग मिला होगा। इस दौरान डिप्टी कलेक्टर जागेश्वर कौशल, लवकेश ध्रुव और उप संचालक जनशक्ति नियोजन राजकुमार कुर्रे भी मौजूद थे।

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