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निर्माणाधीन नरवा योजनाओं का निरीक्षण किया जिला पंचायत सीईओ ने, गौठान में चल रही आजीविकामूलक गतिविधियों को भी देखा…
निर्माणाधीन नरवा योजनाओं का निरीक्षण किया जिला पंचायत सीईओ ने, गौठान में चल रही आजीविकामूलक गतिविधियों को भी देखा…
दुर्ग – जिला पंचायत सीईओ अश्विनी देवांगन ने आज धमधा ब्लॉक के विभिन्न गांव में नरवा स्ट्रक्चर का अवलोकन किया। वह बसनी, लिटिया बरहापुर परसबोड आदि गांव में पहुंचे और यहां उन्होंने नरवा कार्यों का निरीक्षण किया। अपने निरीक्षण में श्री देवांगन ने कहा कि प्रथम चरण के निर्माण कार्यो के निरीक्षण के दौरान पाया गया है कि वाटर लेवल में काफी वृद्धि हुई है और इससे रबी फसल लेने में भी काफी सहायता हुई है दूसरे चरण के भी जो निर्माण कार्य है उन्हें तेजी से पूरा करें। स्टॉप डेम की जहां रिपेयर की जरूरत है संरचनाओं में जहां सुधार की आवश्यकता है उसे पूरा करें। उन्होंने कहा कि नरवा कार्यों को गर्मी में ही समाप्त करना है। इसके लिए युद्ध स्तर पर कार्य करें। सीईओ ने ग्राम पंचायत लिटिया के गौठान का भी निरीक्षण किया। उन्होंने यहां मुर्गी पालन, मछली पालन का कार्य देखा। जय मां सरस्वती समूह द्वारा बताया गया कि यहां मुर्गी पालन का काम हो रहा है इससे अच्छा लाभ हो रहा है। वे अब तक 1100 किलो का चिकन बेच चुके हैं जिससे उन्हें 70 हजार रुपये लाभ मिल चुका है। गौठान में सामुदायिक डबरी का निर्माण किया गया है जिसमें करीब 1000 मछली के बीज डाले गए हैं। सीईओ ने बतख पालन करने के भी निर्देश दिए। साथ ही अन्य गतिविधियों को भी करने के लिए उत्साहित किया। उन्होंने कहा कि गौठान में मवेशियों की उपस्थिति रहे। साथ ही यह भी देखें कि गोबर का क्रय होता रहे तथा वर्मी कंपोस्ट का भी उत्पादन उसी तरह होता रहे। उन्होंने कहा कि हर गौठान में कम से कम 5 आजीविकामूलक गतिविधियां स्थानीय जरूरतों के अनुरूप आरंभ की जाए ताकि बड़े पैमाने पर स्व सहायता समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सके।
बैठक भी ली- इस संबंध में जिला पंचायत सीईओ ने जिला पंचायत के अभियंताओं की बैठक भी ली। उन्होंने कहा कि सभी नालों में सब इंजीनियर नोडल अधिकारी बनाये गए हैं। सभी यह सुनिश्चित करें कि 15 अप्रैल तक नालों की साफ सफाई का कार्य पूरा हो जाए साथ ही जीर्णोद्धार के भी कार्य पूरे हो जाएं। उन्होंने कहा कि समय सीमा बेहद जरूरी इसलिए है क्योंकि बरसात शुरू होने पर नरवा के काम नहीं किए जा सकते। साथ ही नरवा के काम के लाभ भी तभी मिलते हैं जब इसके माध्यम से बारिश के जल का संरक्षण हो पाए।