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आइए जाने जिले के इस महिला अफसर को…. महिला दिवस के पूर्व विशेष साक्षात्कार… एक छात्रा से डॉक्टर फिर डिप्टी कलेक्टर तक का सफर….
दुर्ग – आइए जाने जिले के इस महिला अफसर को…. महिला दिवस के पूर्व विशेष साक्षात्कार… एक छात्रा से डॉक्टर फिर डिप्टी कलेक्टर तक का सफर….
कहते हैं ना बच्चियां अक्सर अपने पापा की लाडली होती है पापा भी हमेशा बच्चियों को इतना ही स्नेह व प्रेम करते हैं जितना की बच्चियां अपने पापा को… आज हम बात कर रहे हैं दुर्ग जिले में नजूल अफसर के रूप में पदस्थ डॉ प्रियंका वर्मा की.. डॉ प्रियंका वर्मा के बारे में हम अपने दर्शकों को कुछ बताएं उससे पहले यह बताना जरूरी है की प्रियंका का डॉक्टर प्रियंका तक सफर कैसा रहा किन – किन चुनौतियों का सामना प्रियंका को डॉ प्रियंका बनने तक लगा उसके बाद डॉ प्रियंका से डिप्टी कलेक्टर कैसे बनी…
“बेहतर संवाद” के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू के दौरान दुर्ग में पदस्थ नजूल अफसर डॉक्टर डॉ प्रियंका वर्मा ने अपने कार्य क्षेत्र व अपने व्यक्तिगत अनुभव को हमसे साझा किया प्रस्तुत है कुछ प्रमुख अंश…..
देश में अब महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ते देखा जा सकता है । देश की महिलाएं लगातार अलग-अलग क्षेत्र में नए आयाम लिख रही है ,इंजीनियरिंग ,डॉक्टरी से लेकर खेलकूद ,शिक्षा , डिफेंस, प्रशासनिक सेवा ,बैंकिंग या अन्य क्षेत्रों में देश की महिलाएं लगातार अपने आत्मविश्वास से नए नए मुकाम हासिल कर रही है ,और अपने क्षेत्र में अपने राज्य व देश का नाम रोशन कर रही है।
डॉ प्रियंका वर्मा बताती हैं उनका जन्म अंबिकापुर में हुआ 12वीं तक की पढ़ाई सरगुजा के होली क्रॉस स्कूल में संपन्न हुआ ,उसके बाद डॉक्टर बन लोगों की सेवा करने का विचार मन में आया सो डॉक्टरी पढ़ने की पढ़ाई स्कूल के समय से ही प्रारंभ कर दी थी। 12वीं के बाद छत्तीसगढ़ की गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज रायपुर से बीडीएस की डिग्री लेकर आखिरकार प्रियंका डॉक्टर बन ही गई । पर मन में तो कुछ और ही चल रहा था स्कूल के समय से ही पापा के विचार पापा की बातें हमेशा याद कर आगे बढ़ने का जुनून लेकर बीडीएस के समय कंपटीशन एग्जाम की तैयारियां भी प्रारंभ कर दी थी । सन 2013 PSC में वह दिन आ गया जब छत्तीसगढ़ पीएससी की परीक्षा में डॉ प्रियंका वर्मा ने छठवां स्थान हासिल कर अपने जिले का नाम पूरे छत्तीसगढ़ में रोशन किया घर में सभी लोग उस दौरान खुश नजर आए की बच्ची की मेहनत रंग लाई पर उस खुशी में भी कहीं ना कहीं पापा की कमी खलती ही रही… बहुत ही कठिन दौर था पर मम्मी का सहयोग हमेशा मिला आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली किसी भी प्रकार की तकलीफ माता ने होने नहीं दिया जिसका परिणाम है कि आज मैं जो कुछ भी हूं उन्हीं के आशीर्वाद से हूं।
वहीं डॉ प्रियंका ने आगे बताया कि हमारे जिले में पीएससी के बारे में लोग बहुत कम ही जानते थे क्योंकि मम्मी शिक्षा विभाग से जुड़ी हुई थी तो थोड़ी थोड़ी जानकारी हमें भी थी । इसीलिए बीडीएस के दौरान ही मैंने सिविल सर्विसेस की तैयारियां प्रारंभ कर दी और 2013 में पीएससी की परीक्षा पास कर सेवा में आने का मौका मिला… 2013 के बाद से अब तक हमारे जिले से चार से पांच डिप्टी कलेक्टर के रूप में सेलेक्ट हुए जो की खुशी की बात है।
CIMS कॉलेज से पेमेंट सीट मिल रहा था पर छत्तीसगढ़ गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज रायपुर को चुना उस समय मेडिकल की सीट बहुत कम हुआ करती थी।
वहीं डॉ प्रियंका ने आगे बताया कि बीडीएस के दौरान बहुत कुछ सीखने को समझने को मिला कैसे आप हार्ड वर्क करते हैं विभिन्न चुनौतियों के बीच आप अपने आप को कैसे बेहतर प्रस्तुत कर सके बीडीएस के दौरान सीखने को समझने को मिला। मानसिक स्थिति को भी बहुत मजबूती मिली बीडीएस के दौरान
वही अपने सलेक्शन के बाद पोस्टिंग के बारे में बताते हुए डॉ प्रियंका ने कहा कि पहली पोस्टिंग सूरजपुर में हुई डेढ़ साल कार्य कर बहुत कुछ सीखने को मिला। तहसीलदार सूरजपुर वह भैयाथान एसडीएम का चार्ज भी दिया गया। उसके बाद पंडरिया सीईओ जनपद सीमा कार्य करने का अनुभव मिला जहां पर पीएम आवास की जिम्मेदारी, उज्जवला योजना की जिम्मेदारी कलेक्टर सर के माध्यम से दी गई जिस पूरी कोशिश रही अपना इस कार्य मे बेहतर दे सकू। उसके बाद बालोद पोस्टिंग हुई डिप्टी कलेक्टर के रूप में लगभग 2.5 साल का कार्यकाल रहा बालोद में जहां पर बहुत कुछ सीखने को मिला। उसके बाद दुर्ग जिला 2020 में पोस्टिंग हुई वर्तमान में दुर्ग में नजूल अफसर के रूप में पदस्थ । जब दुर्ग आई तब कोविड-19 दौर शुरू हुआ कोविड-19 के दौरान बेहतर मैनेजमेंट टीम वर्क की तरह कार्य करना जिससे इस आपदा में ज्यादा से ज्यादा लोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ उस दौरान मिल सके। वही डॉ प्रियंका ने आगे कहा कि आपदा प्रबंधन के बारे में हमने किताबों में पढ़ा था पर पहली बार ऐसा अनुभव कोविड-19 के दौरान हुआ महसूस हुआ किस प्रकार से आपदा आती है और किस प्रकार से आपको इस दौरान तैयारी करनी पड़ती है कलेक्टर सर के निर्देश पर बेहतर टीम वर्क के साथ हमने कार्य किया इस दौरान।
बीते 6 सालों के अनुभव के बारे में डॉ प्रियंका कहती है जहां जहां पर मैं पदस्थ रही वहां पर कुछ ना कुछ नया सीखा व अपने वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा निर्देशों का पालन करना व टीम वर्क की तरह कार्य करना यही अब तक मैंने सीखा है। बीते 6 सालों में चुनाव के दौरान भी मेरी ड्यूटी लगी चुनाव के दौरान किस प्रकार की परिस्थिति निर्मित होती है तमाम चीजों को भी इस दौरान मैंने सीखा व समझा।
महिलाओं के लिए संदेश पर डॉ प्रियंका कहती है महिला आत्मनिर्भर बने जरूरी है लक्ष्य को निर्धारित कर लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मेहनत करें चुनौतियां आएंगी और जाएंगी आपको डगमगाना नहीं है स्थिर रहकर चुनौतियों का सामना करना है, परिस्थितियों को फेस करना है लगातार चलते रहे लक्ष्य जरूर हासिल होगा।