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आरबीआई की फायनेंसियल लिट्रेसी प्रोग्राम में एमएसएमई ने रखी अपनी समस्याएं…बैंकों को सीसी लिमिट 40% बढ़ा देना चाहिए : झा

आरबीआई की फायनेंसियल लिट्रेसी प्रोग्राम में एमएसएमई ने रखी अपनी समस्याएं…
● करंट एकाउंट, कोविड लोन और टर्नओवर
जैसी समस्याओं से उद्योग हलाकान
● बैंकों को सीसी लिमिट 40%
बढ़ा देना चाहिए : झा

दुर्ग – रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा 20 सितंबर को दुर्ग जिले के एमएसएमई उद्योगों के लिए एक फाइनेंसियल लिट्रेसी प्रोग्राम का आयोजन किया गया. जिसमें एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, पीएनबी एवं सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया के उच्च अधिकारी शामिल हुए. लगभग दो घंटे चली इस बैठक में एमएसएमई जिला उद्योग संघ के पदाधिकारियों ने इंडस्ट्रीज के सामने आ रही करंट एकाउंट, कोविड लोन और टर्नओवर जैसी समस्याओं को प्रमुखता से रखा. बैंक के अधिकारियों ने सभी समस्याओं को गंभीरता से सुना और आश्वस्त किया कि बैंक हमेशा से अपने अच्छे कस्टमरों के साथ है.जो भी परेशानियां हैं उन्हें आरबीआई के गाईडलाईन के अनुसार हल करने का प्रयास किया जाएगा.
एमएसएमई जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष के.के. झा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि करंट एकाउंट बंद करने के लिए सभी बैंकों को आरबीआई की गाइडलाइन के तहत निर्णय लेना चाहिए. कोई बैंक तीन माह पहले बंद कर रहा है तो कोई बाद में. बैंकों की इस मनमानी से इंडस्ट्रीज आहत हो रही हैं. कोविड के समय इसका क्रियान्वयन किए जाने से इंडस्ट्रीज परेशान हुए हैं.
श्री झा ने एक अन्य परेशानी का उल्लेख करते हुए बताया कि कोविड-19 के तहत दिए गए लोन की बैंकों द्वारा ईएमआई, ब्याज सहित वसूली जा रही है जो एमएसएमई इंडस्ट्रीज को भारी पड़ रही है. इससे काफी दिक्कत हो रही है. श्री झा ने बताया कि गवर्नमेंट ऑफ इंडिया (फाइनेंस) और आरबीआई गवर्नर द्वारा यह प्रावधान किया गया है कि जिन्हें तकलीफ है वह रिस्ट्रक्चरिंग कर सकते हैं. जिससे भविष्य में किसी के खाते पर इसका दुष्प्रभाव नहीं होगा.
श्री झा ने कहा कि बैंक जो मांग रहे हैं वह टर्नओवर एक-दो साल में नहीं हो पाएगा. इसलिए इसमें शिथिलीकरण होना चाहिए. श्री झा ने कहा कि जब सेकंड वेव आया तब सरकार को पैसा देना चाहिए था लेकिन इसके विपरित पैसा ना देकर कोविड लोन की वसूली शुरू कर दी गई. हमें 30% लोन दिया गया जबकि रॉ- मटेरियल के दाम में 40% की बढ़ोतरी हो गई. 30% तो रॉ- मटेरियल में ही चला गया. 10% घर से देना पड़ा. उसके बाद टैक्स, लेबर खर्च अलग है. ऐसे में 30% लोन ही हमारे लिए बोझ बन गया है. ऐसी स्थिति में बैंकों को सीसी लिमिट 40% बढ़ा देना चाहिए. उसके बाद रिस्ट्रक्चरिंग पर शासन विचार करें.
एसबीआई के रीजनल मैनेजर आशीष चक्रवर्ती का कहना था कि कोविड लोन को हम बड़ी सरलता से ले रहे हैं. और जहां तक करंट अकाउंट की बात है हमने आरबीआई के गाइडलाइन का पालन करते हुए 1 माह के भीतर खाता बंद किया है. रिस्ट्रक्चरिंग के लिए हमने सभी को 30 तारीख तक का समय दिया है. पीएनबी के रीजनल मैनेजर ने कहा कि बैंक को यह पावर है कि वह कस्टमर और उसके खाते को देखकर, आज की परिस्थिति को देखते हुए विवेक से निर्णय लें. हम आश्वस्त कर रहे हैं कि अपने कस्टमर को कहीं दूसरी जगह जाने नहीं देंगे. यह हमारी मॉरल ड्यूटी है.
सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया की रीजनल मैनेजर मैडम शर्मा ने कहा कि हम एमएसएमई को बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट देते हैं. जो प्रावधान दिए गए हैं उससे ऊपर जाकर हम दुर्ग जिले में काम कर रहे हैं. बैंक ऑफ बड़ौदा एवं लीड बैंक के मैनेजर दिलीप नायक ने कहा कि आज के कार्यक्रम का मतलब यही है कि जिस सेक्टर में जिसकी जैसी मदद की जा सकती है की जाए. आप सभी अपनी बात इस प्लेटफार्म पर रख सकते हैं. सब की बातों को गंभीरता से लिया जाएगा.
एमएसएमई के जनरल सेक्रेटरी अंकित मेहता, भिलाई एंसीलरी एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंद सिंह खुराना, एमएसएमई के जे. के. जैन, व्यास शुक्ला, चमन लाल बंसल, मयूर कुकरेजा, आशुतोष तिवारी, एंसीलरी एसोसिएशन से चरणजीत सिंह खुराना ने भी अपनी बातें रखी. बैठक के अंत में आरबीआई रायपुर के अधिकारियों का आभार व्यक्त किया गया.

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