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स्वरूपानंद महाविद्यालय मे ‘‘कोरोना पेंडमिक में मन को तनाव मुक्त रखना’’ विषय पर पन्द्रह दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स का आयोजन किया गया..

स्वरूपानंद महाविद्यालय मे ‘‘कोरोना पेंडमिक में मन को तनाव मुक्त रखना’’ विषय पर पन्द्रह दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स का आयोजन किया गया…

भिलाई – स्वरूपानंद महाविद्यालय के शिक्षा विभाग द्वारा ‘‘कोरोना पेंडमिक में मन को तनाव मुक्त रखना’’ विषय पर शिक्षा विभाग के विद्यार्थियो हेतु पन्द्रह दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स का आयोजन किया जा रहा है।
महाविद्यालय के सीओओ डॉ दीपक शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में इस विषय पर सर्टिफिकेट कोर्स कराना हम सभी के लिए हितकारी है और आने वाले समय में हम इन समस्याओं से निजात पा सकते हैं।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य पर वातावरण का बहुत प्रभाव पड़ता है। हम जिस वातावरण में रहते हैं वहां के लोगों का व्यवहार हमारे मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा या बुरा बना सकता है। अतः हमें स्वयं अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना है और अपनी सोच को सकारात्मक बनाना है।
उप प्राचार्य एवं शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अजरा हुसैन ने कहा कि तनाव का कारण व्यक्ति स्वयं होता है एवं उसका इगो, अति भौतिकताबाद, अत्यधिक महत्वाकांक्षीए समाज एवं परिवार से दूरियां, संस्कृति से दूरी एवं प्रकृति से दूरी है। अतः इसे दूर करने के लिए हमें अपने अंदर बदलाव लाना होगा तभी हम स्वयं इस तनाव से दूर हो सकते हैं।
संयोजिका डॉ रचना पांडे ने सर्टिफिकेट कोर्स के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कोरोना पेंडमिक के इस दौर में जब पूरा विश्व मानसिक तनाव से गुजर रहा है ऐसे समय में हमें परामर्श की आवश्यकता है जो हमारे तनाव को कम कर सके क्योंकि जब हम मानसिक रूप से स्वस्थ होंगे तो किसी भी बीमारी से आसानी से लड़ सकते हैं। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए प्राध्यापक को एवं विद्यार्थियों के लिए पन्द्रह दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स का आयोजन किया गया।
उद्घाटन सत्र की मुख्य अतिथी तथा वक्ता डॉ शमा हमदानीए मानसिक रोग विषेशज्ञ एवं शैक्षणिक स्टॉफ पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय एवं मानसिक रोग विषेशज्ञ हाइटेक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल जुनवानी, श्री शंकराचार्य मेडिकल इंस्टीट्यूट, जुनवानी एवं बक्शी हार्ट सेंटर, आदर्श नगर दुर्ग थी। उन्होने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पुरुषों में मानसिक स्वास्थ्य की कमी 13.8 प्रतिशत महिलाओं में 7.3 प्रतिशत और बच्चों में 17.3 प्रतिशत पाई जाती है उनका कहना है जो व्यक्ति डिप्रेशन में रहते हैं या जिनका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता है उनसे दूर रहने की बजाय उनके साथ रहना चाहिए जिससे उनकी परेशानियां दूर हो वह लोगों से बात कर सके अपनी समस्या का समाधान कर सके। मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक बिमारी के अंतर को समझाते हुए बताया कि यदि आप मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहते है तो आप में मानसिक बिमारी के लक्षण कभी भी हावी नही हो सकते।
उघाट्न सत्र का संचालन डॉ रचना पॉडे सहायक प्राध्यापक शिक्षा विभाग ने किया तथा इस सत्र में शिक्षा विभाग के समस्त प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित हुये…

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