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बीडीएस की परीक्षा पास कर… अपने पहले ही प्रयास में बनी डिप्टी कलेक्टर… दुर्ग जिले में पदस्थ महिला अधिकारी से “बेहतर संवाद” की विशेष बातचीत…
बीडीएस की परीक्षा पास कर… अपने पहले ही प्रयास में बनी डिप्टी कलेक्टर… दुर्ग जिले में पदस्थ महिला अधिकारी से “बेहतर संवाद” की विशेष बातचीत…
दुर्ग – कहते हैं बेटियां पिता की लाडली होती है, पिता की वो परी होती है अक्सर उंगली पकड़कर आसपास घुमाना कंधों पर बैठाना खूब मस्ती करना वह पिता ही तो है जो बेटियों से भरपूर स्नेह करते हैं. आज हम बात कर रहे हैं से ही एक बेटी की जो अपने पिता की लाडली व परी कहलाती है. ऐसे ही एक व्यक्तित्व की जिन्होंने पहले ही प्रयास में छत्तीसगढ़ सिविल सेवा की परीक्षा पास कर डिप्टी कलेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं प्रारंभ की. जी हां हम बात कर रहे हैं वर्तमान में दुर्ग जिले में एसडीएम के रूप में पदस्थ डॉक्टर ज्योति पटेल की जिन्होंने “बेहतर संवाद” से सुपर एक्सक्लूसिव चर्चा करते हुए अपने व्यक्तिगत एवं कार्यक्षेत्र के बारे में जानकारी साझा की…
डॉ ज्योति पटेल बताती है उनका जन्म छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कटघोरा सिरमीना ग्राम में हुआ. बेसिक शिक्षा मनेंद्रगढ़ सरस्वती शिशु मंदिर मैं क्लास 1 से 5 तक पूर्ण हुआ उसके बाद सरगुजा जिले के नवोदय विद्यालय से छठी से 12वीं तक की पढ़ाई पूर्ण की. 12वीं के बाद बीडीएस में दाखिला लेकर बैचलर ऑफ डेंटल सर्जन की पढ़ाई रायपुर गवर्नमेंट कॉलेज से पूर्ण की …
वही डॉक्टर ज्योति पटेल आगे बताती हैं बीडीएस के बाद यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली जाना पड़ा जहां पढ़ाई के दौरान छत्तीसगढ़ सिविल सेवा की परीक्षा देकर पहले ही प्रयास में 39 वां रैंक के साथ पीएससी में सिलेक्शन हुआ डिप्टी कलेक्टर के रूप में.
आगे जॉइनिंग के बाद पहली पोस्टिंग रायपुर कलेक्ट्रेट में हुई प्रोबेशनरी डिप्टी कलेक्टर के रूप में उसके बाद सीईओ जनपद गौरेला पेंड्रा जहाँ 1 वर्ष तक कार्य करने का मिला. फिर ट्रांसफर होकर दुर्ग पहुंची कलेक्ट्रेट में एसडीएम भिलाई व पाटन की जिम्मेदारी मिली.
डॉक्टर ज्योति पटेल अपने कार्य क्षेत्र के बीते कुछ वर्षों के अचीवमेंट के बारे में बताते हुए कहां की सीईओ के रूप में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत लोगों को ज्यादा से ज्यादा लोगों को योजनाओं का लाभ हो ऐसी कोशिश रहती थी. अपने कार्यकाल के दौरान बेहतर ढंग से विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव के दौरान टीम का हिस्सा रह कर बहुत कुछ अनुभव मिला.
डॉ ज्योति पटेल ने कहा मन के अंदर जब तक प्रेरणा उत्पन्न ना हो कुछ करने की चाहे जब तक खुद के अंदर ना हो तब तक हम दूसरों के दिखाए वह बताएं रास्तों पर चल कर भी मुकाम तक नहीं पहुंच सकते. जब तक अंदर की इच्छा शक्ति या यूं कहें प्रेरणा खुद से ना मिले. कहते हैं चलने के लिए कदम को आगे बढ़ाना पड़ता है.
वही परिवार के बारे में ज्योति पटेल बताती हैं घर में पापा मम्मी छोटी बहन बहुत छोटा भाई है. पिताजी गवर्नमेंट एम्पलाई है, माताजी हाउसवाइफ जो घर पर रहकर सब का ख्याल रखती है. वही छोटी बहन टीचर जॉब में है. छोटा भाई अभी पढ़ाई कर रहा है.
यूपीएससी की तैयारियों के बारे में ज्योति पटेल ने बताया कि बीडीएस के छठे सेमेस्टर में थी तब यूपीएससी तैयारी का जुनून मन में आया पढ़ाई के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी भी करने लगी व एनसीईआरटी की बुक्स पड़ने लगी…
कार्य क्षेत्र के के दौरान जहां जहां पर पदस्थ रही सभी कर्मचारियों का बेहतर समन्वय रहा कार्य के दौरान…
युवाओं से अपील कर डॉक्टर ज्योति पटेल ने कहा युवाओं को अपना माइंड सेट कर कार्य करना चाहिए. पहले सोचो समय लो फिर कार्य करो दिमाग को पूर्ण रूप से स्टेबल करें व पॉजिटिव सोच के साथ अपने लक्ष्य के प्रति आगे बढ़े…